शेयर बाजारों में उच्च मूल्यांकन और आम चुनावों के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) सतर्क हो गए हैं, और उन्होंने इस महीने के पहले सप्ताह में बाजार से 325 करोड़ रुपये निकाले है. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में 35,000 करोड़ रुपये और फरवरी में 1,539 करोड़ रुपये का निवेश करने के बाद एफपीआई ने शुद्ध निकासी की थी. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि अमेरिका में 10-वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गया है, जिससे निकट अवधि में भारत में एफपीआई निवेश प्रभावित होगा.
दरों में कटौती के शुरुआती संकेत मिलने पर लौट सकते हैं विदेशी निवेशक
उन्होंने कहा कि उच्च अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के बावजूद एफपीआई की बिक्री सीमित रहेगी, क्योंकि भारतीय शेयर बाजार में तेजी है और यह लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है. कैपिटलमाइंड के वरिष्ठ शोध विश्लेषक कृष्णा अप्पाला ने कहा कि आम चुनाव के बाद या अमेरिकी फेडरल रिजर्व से ब्याज दर में कटौती के शुरुआती संकेत मिलने पर एफपीआई वापस लौट सकते हैं.
इन फंडामेंटल पर रहेगी बाजार की नजर
कारोबारियों के मुताबिक विदेशी निवेशकों का रुख, रुपये-डॉलर के रुझान और कच्चे तेल की कीमतें भी उतार-चढ़ाव से अगसे हफ्ते शेयर बाजार की दिशा तय होगी. स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के अनुसंधान प्रमुख संतोष मीना का कहना है कि भारतीय कंपनियां इस सप्ताह चौथी तिमाही के वित्तीय नतीजों की घोषणा शुरू करेंगी. इस क्रम में आईटी सेवा कंपनी टीसीएस सबसे पहले अपने नतीजे घोषित करने वाली है. टीसीएस के नतीजे 12 अप्रैल को जारी होंगे.
उन्होंने बताया कि भारत के औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े भी 12 अप्रैल को घोषित किए जाएंगे और इसी दिन मार्च के लिए मुद्रास्फीति की घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि निवेशक डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल, कच्चे तेल की कीमतों और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की निवेश गतिविधियों पर करीब से नजर रखेंगे.