चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में घरेलू शेयरों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के निवेश का मूल्य 15 फीसद बढ़कर 651 अरब डॉलर हो गया. एक रिपोर्ट में यह आंकड़ा पेश किया गया है. मॉर्निंगस्टार की रिपोर्ट के मुताबिक, एफपीआई के निवेश का मूल्य बढ़ने की प्रमुख वजह भारतीय शेयर बाजारों करा अच्छा प्रदर्शन है। इसके अलावा उनका शुद्ध प्रवाह भी मजबूत रहा है, जिससे निवेश मूल्य बढ़ा है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयरों में एफपीआई के निवेश का मूल्य सितंबर, 2023 के अंत में 651 अरब डॉलर हो गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 566 अरब डॉलर था. वहीं तिमाही आधार पर एफपीआई का निवेश मूल्य चार प्रतिशत बढ़ा है. अप्रैल-जून तिमाही में इस तरह के निवेश का मूल्य 626 अरब डॉलर था. हालांकि भारतीय शेयर बाजार के मूल्यांकन में एफपीआई का योगदान आलोच्य तिमाही में मामूली रूप से गिरकर 16.95 फीसद रह गया. यह जून तिमाही में 17.33 फीसद था.
विदेशी निवेशकों ने सितंबर तिमाही के अधिकांश हिस्से में 5.38 अरब डॉलर के शुद्ध निवेश के साथ भारतीय शेयर बाजारों में खरीदारी का सिलसिला जारी रखा. रिपोर्ट कहती है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने स्थिर आय वृद्धि की बहाली, टिकाऊ वृहद-आर्थिक बुनियाद और चीन की अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद चुनौतियों को देखते हुए जुलाई में भारतीय शेयरों में 5.68 अरब डॉलर डाले. वहीं अगस्त में यह निवेश कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और मुद्रास्फीति के जोखिम दोबारा सामने आने से घटकर 1.48 अरब डॉलर रह गया.
हालांकि सितंबर में विदेशी निवेशक छह माह में पहली बार भारतीय शेयर बाजारों में शुद्ध विक्रेता बन गए. इस दौरान एफपीआई ने 1.78 अरब डॉलर की शुद्ध संपत्ति बेची. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और यूरो क्षेत्रों में जारी आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण ऐसा हुआ. इसके अलावा अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड का प्रतिफल बेहतर होने का भी असर पड़ा. एफपीआई ने अक्टूबर में भी 2.95 अरब डॉलर की शुद्ध संपत्ति बेची है. वहीं इस महीने में भी 10 नवंबर तक उन्होंने शुद्ध रूप से 69.7 करोड़ डॉलर के शेयर बेचे हैं.