भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विदेश में रहने वाले ग्राहकों को निवेश की सलाह देने वालों को बड़ी राहत दी है. सेबी के मुताबिक उन्हें निवेश सलाहकारों (आईए) को नियंत्रित करने वाले नियमों के तहत पंजीकरण से छूट दी गई है. यानी अब विदेशी ग्राहकों को सलाह देने वालों को पंजीकरण कराना अनिवार्य नहीं है.
सेबी ने बड़ी जानकारी
सेबी ने मंगलवार को जानकारी दी है कि यदि कोई प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) को निवेश सलाह देता है, तो वह आईए नियमों के दायरे में आएगा और उसे पंजीकरण की जरूरत होगी. दरअसल, ग्राहकों को निवेश की सलाह देने को लेकर सेबी कई तरह के नियम लागू किया है. इसके अलावा सेबी ने कहा कि पंजीकृत निवेश सलाहकार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को निवेश सलाहकार सेवाएं दे सकते हैं.
गौरतलब है कि ये निवेश सलाहकार शेयर, ऋणपत्र, बॉन्ड, वायदा-विकल्प, प्रतिभूतिकृत माध्यम, एआईएफ (वैकल्पिक निवेश कोष), आरईआईटी (रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट) और इनविट (बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट) आदि में निवेश की सलाह देते हैं.
नई तैयारी में सेबी
पूंजी बाजार नियामक सेबी निवेश बाजार में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के लिए कई तरह के बदलाव कर रहा है. इस बीच नियामक गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के लिए खुलासा जरूरतों को लागू करने पर विचार कर रहा है, जो किसी कारोबारी समूह का हिस्सा हैं.
सेबी ने 2022-23 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा, ‘सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध इकाइयों के एक जटिल समूह की गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के चलते प्रतिभूति बाजार पारिस्थितिकी तंत्र में आने वाले जोखिमों की पहचान, निगरानी और प्रबंधन करने की जरूरत है.’ इसके अलावा, सेबी समूह-स्तर पर लेनदेन की सूचना को बढ़ावा देकर बाजार में अधिक पारदर्शिता लाने की योजना पर भी काम कर रहा है.
बड़े समूहों पर पड़ेगा असर
सेबी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि समूह के भीतर पारस्परिक हिस्सेदारी और भौतिक वित्तीय लेनदेन के विवरण का खुलासा भी करने की जरूरत पर भी विचार किया जाएगा. नियामक के इस फैसले से देश के शीर्ष कारोबारी समूहों में टाटा समूह, रिलायंस इंडस्ट्रीज, अडाणी समूह, आदित्य बिड़ला समूह और बजाज समूह शामिल हैं, जिन पर इस फैसले का असर पड़ सकता है.