भारत में 8 दिन की देरी से इस साल मानसून ने दस्तक दे दी है. आम तौर पर केरल तट पर मानसून आने की अधिकारिक तारीख 1 जून मानी जाती है. अब इस साल अल नीनो की स्थिति बन रही है जिसकी वजह से कम बारिश होने का अनुमान जताया जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि शेयर बाज़ार के लिए ये स्थिति शॉर्ट टर्म रिस्क फैक्टर का कारण बन सकती है.
बाज़ार के जानकार कहते हैं कि शेयर मार्केट में आगे इसमें गिरावट आने की संभावना है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि अल-नीनो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी स्थिति नहीं है. और न केवल अर्थव्यवस्था बल्कि सीमेंट, कृषि रसायन, उर्वरक, एफएमसीजी, और ट्रैक्टर कंपनियों सहित कई क्षेत्र और स्टॉक इस स्थिति से सीधे जुड़े हुए हैं.
भारत में FMCG सेक्टर्स में कमाई का क़रीब 30-40 फ़ीसदी हिस्सा ग्रामीण इलाके की मांग से आता है. पहले ही FMCG कंपनियों से जुड़ी मांग कमज़ोर रही है. अब अलनीनो भी ग्रामीण मांग पर दबाव डाल सकता है. वहीं अनुमान से कम बारिश और असमान मॉनसून के कारण ईंधन से जुड़ी महंगाई भी बढ़ सकती है, जिसका रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर भी असर पड़ सकता है. RBI मुद्रास्फीति को लेकर पहले ही चिंतित है और उसने अपने वित्त वर्ष 2024 के अनुमान में 10 बेसिस प्वाइट की कटौती करके 5.1 फ़ीसदी कर दिया है.
शेयर इंडिया के रिसर्च हेड और वाइस प्रेसिंडेट कहते हैं कि अल नीनो की वजह से महंगाई बढ़ेगी और इसका असर बैंकिंग सेक्टर पर भी नकारात्मक रहेगा. इसलिए बैंकिंग शेयरों से दूरी बनाएं. हालांकि उन्होंने कहा कि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सेक्टर्स में इसका असर सकारात्मक रह सकता है क्योंकि गर्मी बढ़ेगी तो लोग एसी, कूलर, फ्रिज जैसे अप्लायंस की ज्यादा खरीद करेंगे. ऐसे इनके शेयरों में अगर बढ़त बनती दिखे तो खरीद की जा सकती है.
बता दें दुनिया भर की एजेंसियां कैलेंडर वर्ष 23 के बाद अल नीनो के आने की 60 प्रतिशत संभावना का अनुमान लगा रही हैं. ऑस्ट्रेलियाई मौसम विज्ञान ब्यूरो का ENSO आउटलुक अब Watch स्टेटस से ‘अलर्ट’ स्टेटस में बदल गया है. अब अल नीनो बनने की लगभग 70 फ़ीसदी संभावना है.
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