बीते वित्त वर्ष में घरेलू बाजार में दिखी शानदार तेजी ने नए निवेशकों को काफी आकर्षित किया है. यही वजह है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान करीब 3.7 करोड़ नए डीमैट अकाउंट खोले गए हैं. इसका मतलब यह है कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के दौरान बाजार में हर महीने औसतन 30 लाख से ज्यादा नए डीमैट खाते खुले हैं. दिलचस्प बात यह है कि बीते वित्त वर्ष में पहली बार डीमैट अकाउंट होल्डर्स की कुल संख्या 15 करोड़ के पार निकल गई है.
डेटा के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में डिपॉजिटरीज सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज (CDSL) और नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (NSDL) के पास खुले डीमैट अकाउंट की कुल संख्या करीब 15.14 करोड़ पर पहुंच गई है. वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा महज 11.45 करोड़ था. लिहाजा एक साल में डीमैट अकाउंट की संख्या 11.9 फीसदी बढ़ गई है.
कोविड के बाद बढ़ी शेयर बाजार में दिलचस्पी
भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या में कुछ वर्षों में शानदार बढ़ोतरी देखने को मिली है. जानकारों के मुताबिक कोरोना महामारी के बाद से शेयर बाजार में निवेश करने वाले लोगों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी है. वित्त वर्ष 2019-20 में भारत में कुल 4 करोड़ डीमैट अकाउंट खोले गए थे, जबकि अभी ये संख्या 16 करोड़ के स्तर पर पहुंचने वाली है. लिहाजा पिछले 4 वर्षों में डीमैट अकाउंट की संख्या 4 गुना बढ़ी है.
निवेशकों की बढ़ी रिस्क क्षमता
पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरेलू बाजार में शानदार रैली रिकॉर्ड की गई. 31 मार्च 2024 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के दौरान बीएसई सेंसेक्स में 25 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई, जबकि एनएसई का निफ्टी50 इस दौरान 28 पर्सेंट से ज्यादा मजबूत हुआ. शेयर बाजार की इस तेजी ने नए निवेशकों का आकर्षित किया. साथ ही उनकी रिस्क क्षमता भी बढ़ाई. नए इंवेस्टर्स ज्यादा रिटर्न पाने के लिए ज्यादा रिस्क उठाने को तैयार हैं. यही कारण है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान घरेलू शेयर बाजार में ऐसी कंपनियों की संख्या भी लगभग दोगुनी होकर 80 पर पहुंच गई, जिनका मिड कैप 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा है. साल भर पहले ऐसी कंपनियों की संख्या सिर्फ 48 थी.