शेयर बाजार में तेजी और एक के बाद एक लगातार आ रहे इनीशियल पब्लिक ऑफर यानी IPO की वजह से देश में डीमैट खातों की संख्या तो रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, लेकिन एक्टिव ट्रेडर्स के आंकड़ों में गिरावट देखी जा रही है. शेयर बाजार में एक्टिव डीमैट खाता या एक्टिव क्लाइंट उसे माना जाता है जो सालभर में कम से कम एक बार शेयर खरीदने या बेचने के लिए सौदा डालता है. रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में 75 फीसद से ज्यादा डीमैट खाते ऐसे हैं जिनमें एक साल से शेयर खरीदने या बेचने का कोई सौदा नहीं डला है.
आंकड़ों के मुताबिक इस साल अगस्त अंत तक देश में कुल डीमैट खातों की संख्या 12.65 करोड़ तक पहुंच गई है, इस साल मार्च से तुलना करें तो डीमैट खातों का आंकड़ा करीब 11 फीसद बढ़ा है. इस साल मार्च अंत में डीमैट खातों का आंकड़ा 11.43 करोड़ था. डीमैट खातों के आंकड़े की तुलना अगर कोरोना काल से पहले वाले दौर से की जाए तो करीब 210 फीसद की ग्रोथ आ चुकी है. 2020 के मार्च अंत तक देश में डीमैट खातों का आंकड़ा सिर्फ 4 करोड़ हुआ करता था. लेकिन कोरोना काल में जब लॉकडाउन लगे तो देशभर में शेयर ट्रेडिंग में बढ़ोतरी हुई और उसके लिए डीमैट खातों की संख्या बढ़ी.
हालांकि एक्टिव डीमैट खातों में वैसी ग्रोथ नहीं है जैसी डीमैट खाते के खुलने में ग्रोथ आई है. आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल तक देश में एक्टिव डीमैट खातों का आंकड़ा 3.5 करोड़ के करीब था जो इस साल मार्च अंत में घटकर 3.19 करोड़ रह गया और अब अगस्त में सिर्फ 3.15 एक्टिव डीमैट खाते ही बचे हैं. यानी कुल डीमैट खातों में 75 फीसद से ज्यादा खाते एक्टिव नहीं हैं.
शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए खुलने वाले डीमैट खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़ रही है. शेयर ट्रेडिंग के लिए ऑनलाइन ब्रोकिंग की सुविधा देने वाली कंपनी जेरोधा का कहना है कि 2018 में उसके पास जितने डीमैट खाते खुले थे उसमें महिलाओं की हिस्सेदारी 18 फीसद हुआ करती थी जो अब बढ़कर 22 फीसद हो गई है. ब्रोकिंग कंपनी कोटक सिक्योरिटीज का कहना है कि उसके पास जितने डीमैट खाते हैं उनमें करीब 25 फीसद खाते महिलाओं के हैं.