मार्केट रेगुलेटर सेबी के नए नियम से शेयर बाजार के छोटे ब्रोकर परेशान हैं. दरअसल, अब शेयर ब्रोकर्स और क्लियरिंग मेंबर्स ग्राहकों के पैसे से कोई भी बैंक गारंटी नहीं ले पाएंगे. सेबी ने हाल ही में एक सर्कुलर जारी यह आदेश दिया है, जो 1 मई 2023 से लागू हो जाएगा. इसके साथ ही सेबी ने स्टॉक ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों को मौजूदा बैंक गारंटी 30 सितंबर से पहले वापस लेने का निर्देश भी दिया है. इसके अलावा 1 जून से एक्सचेंजों और क्लियरिंग हाउसों के लिए कोलैटरल डेटा जमा करना भी ज़रूरी हो जाएगा जिसमें बैंक गारंटी समेत दूसरी जानकारी देनी होगी.
क्यों पड़ी जरूरत
अभी ब्रोकर्स अपनी जरूरत के हिसाब से क्लाइंट्स के पैसे को बैंकों के पास गांरटी के रूप में रख देते हैं और इसके बदले में बैंक ज्यादा रकम के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन को बैंक गारंटी जारी करते हैं. मान लीजिए पहले ग्राहक के खाते में 1000 रुपए होते थे तो ब्रोकर इस 1000 रुपए की FD करते हुए उस पर 1000 रुपए की अतिरिक्त बैंक गारंटी ले लेते थे. इस तरह से उन्हें 2000 का फ़ायदा मिलता था और इस तरह से ग्राहकों के पैसे पर ली गई बैंक गारंटी का फ़ायदा ब्रोकर्स के बहीखाते पर देखने को मिलता था. सेबी का कहना है कि ये तरीका बाज़ार और ग्राहकों के पैसे को ज़ोख़िम में डालता है इसलिए सेबी ने ग्राहकों के हित को ध्यान में रखते हुए ये फ़ैसला लिया है कि ग्राहकों के फंड से बैंक गारंटी की अनुमति नहीं होगी.
क्या होगा फायदा
बता दें ग्राहकों के शेयरों को गिरवी रखने पर पहले भी निवेशकों को नुकसान हुआ है. विश्लेषकों का कहना है कि इस आदेश से ग्राहकों के फंड के दुरुपयोग की संभावना रुक सकेगी. हालांकि शेयर ब्रोकरों और क्लियरिंग सदस्यों के स्वामित्व वाले फंड पर ये व्यवस्था लागू नहीं होगी. सेबी के इस आदेश के बाद छोटे ब्रोकर परेशान हैं क्योंकि इसी तरह ये लोग फ़ायदा कमाते थे लेकिन अब 1 मई के बाद नई व्यवस्था के बाद ऐसा नहीं हो सकेगा.