दूसरी तिमाही में बढ़िया नतीजों के बल पर बैंकिंग शेयरों में अच्छी तेजी देखने को मिल रही है. ज्यादातर प्रमुख निजी बैंकों के नतीजे जारी हो चुके हैं. सरकारी बैंकों के नतीजे आने अभी बाकी हैं, हालांकि निजी बैंकों से ये संकेत मिल रहे हैं कि दूसरी तिमाही बैंकों के लिहाज से बेहतर रहने वाली हैं. दमदार नतीजों की मुख्य वजह कर्ज की दर का तेजी से बढ़ना है जबकि जमा की दर उसके मुकाबले कम तेजी से बढ़ी है. ज्यादातर बैंकों की लोनबुक का बड़ा हिस्सा फ्लोटिंग रेट लोन से जुड़ा है यानी रेपो रेट के साथ-साथ बैंक की ओर से दिए गए कर्ज भी महंगे होते जाएंगे. कुछ बैंकों ने अपनी कर्ज की मांग को पूरा करने के लिए अतिरिक्त नकदी का भी इस्तेमाल किया है.
येस बैंक को छोड़ शेष सभी निजी बैंकों के नतीजे अच्छे रहे हैं. कोटक बैंक के NIMs में सबसे ज्यादा 0.72 फीसद का सुधार हुआ है. इसके अलावा ICICI बैंक का NIM 0.31 फीसद, इंडसइंड बैंक का 0.17 फीसद रहा है. बैंकों के लिए एक चिंता की बात यह है कि कर्ज की मांग के मुकाबले जमा की रफ्तार कुछ धीमी है.
चार बड़े निजी बैंकों में HDFC को छोड़ बाकी बैंकों की डिपॉजिट ग्रोथ लोन ग्रोथ से लगभग आधी है. HDFC बैंक के मामले में डिपॉजिट ग्रोथ और लोन ग्रोथ के बीच का अंतर कम है. कोटक बैंक की लोन ग्रोथ 25 फीसद जबकि डिपॉजिट ग्रोथ 12 फीसद रही है. ICICI बैंक का भी हाल ऐसा ही है. यहां लोन ग्रोथ 23 फीसद और डिपॉजिट ग्रोथ 12 फीसद रही है. जबकि छोटे निजी बैंकों में यह ट्रेंड उल्टा है. यस बैंक और IDFC फर्स्ड की डिपॉजिट ग्रोथ लोन ग्रोथ के मुकाबले अधिक है. IDFC फर्स्ट बैंक की डिपॉजिट ग्रोथ 36 फीसद जबकि लोन ग्रोथ 25 फीसद की रफ्तार से बढ़ रही है.
बड़े बैंकों को जमा आकर्षित करने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी करनी होगी इससे आने वाली तिमाहियों में बैंकों के NIMs पर कुछ असर देखने को मिल सकता है. रिटर्न देने के मामले में सरकारी बैंक निजी बैंकों पर हावी हैं. PSU बैंक इंडेक्स 3.5 साल की ऊंचाई पर कारोबार कर रहा है. मई 2020 के निचले स्तर से इस इंडेक्स में 3 गुने से ज्यादा का उछाल आ चुका है. 2022 में अब तक PSU इंडेक्स 32 फीसद से ज्यादा का रिटर्न दे चुका है. रिटर्न देने के मामले में यूनियन बैंक, PNB, केनरा बैंक और जम्मू कश्मीर बैंक अव्वल रहे, SBI ने 586 रुपए का नया उच्चतम स्तर छुआ.
सरकारी बैंकों में तेजी की वजह दूसरी तिमाही में दमदार नतीजों के साथ-साथ निजी बैंकों की तुलना में इनके सस्ते वैल्युएशन हैं. ICICI सिक्योरिटीज की हालिया रिपोर्ट बताती है कि PSU बैंक इंडेक्स ने अपने 5 साल के करेक्टिव फेज से ब्रेकआउट लिया है. यानी इसे ऐसे समझिए कि लंबे समय से इंडेक्स एक दायरे में कारोबार कर रहा था जिसे तोड़ बाहर आया है. इसके अलावा सरकारी बैंकों में NPA को लेकर चिंताएं कम हुईं है.
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