खबर देखकर शेयर बेचने और खरीदने की गलती बहुत से लोग करते हैं. निवेश करने से पहले हमें खबर की समझ होना चाहिए. कैसे समझें खबरों का असर.
फाइनेंशियल इमरजेंसी कभी बताकर नहीं आती. अनचाही और अनदेखी परिस्थितियों में अगर आपकी सैलरी रुक जाए या कम हो जाए तो आपका खर्चा कैसे चलेगा? इसी तरह के मुश
अमेरिका और यूरोपीय देशों में यह महंगाई ही है, जो न केवल सरकारों के पसीने छुडा रही बल्कि बॉण्ड बाजार भी इसकी आहट से सहमा हुआ है.
इस बार विक्रम पेड़ तक नहीं आया. बेताल की पेट में खलबली मची थी. विक्रम का इंतजार करते-करते बेताल ने भरी एक उड़ान... और क्या देखा.
P/E रेश्यो को ऐसे समझें कि बाजार में निवेशक किसी कंपनी का शेयर कितने रुपए में खरीदने को तैयार हैं. P/E रेश्यो के बारे में और जानने के लिए देखिए
सोना हुआ कितना सस्ता, शेयर बाजारों में क्यों आई गिरावट, भारतीय रुपया क्यों लुढ़का, FMCG कंपनियों की बिक्री को लगी किसकी नजर, कोविड प्रतिबंधों में क
आज के मनीसेंट्रल में अर्थव्यवस्था के कई अहम पहलुओं पर चर्चा हुई, शुभम शंखधर के सवालों का अंशुमान तिवारी ने जवाब दिया.
हम सूंघने निकले थे बजट और विजय चौक के पार्क में मिल गए विक्रम और बेताल. ये विक्रम नए जमाने के बहसबाज और बेताल पुराना घाघ. विक्रम सवाल दाग रहा था.
पिछली बहस के बाद विक्रम सोच कर आया था कि अब बहस में नहीं फंसेगा. लेकिन पेड़ की नीचे पहुंचते ही बेताल कूद कर विक्रम के कंधे पर लद गया.
इमरजेंसी फंड नहीं बनाया तो कहीं आपको पैसों के लिए हाथ न फैलाना पड़े? कर्ज उतारने के लिए और कर्ज न लेना पड़े इसलिए ख्याल रहे कि इमरजेंसी फंड बनाने में