मार्केटिंग रेगुलेटर सेेबी ने गुरुवार को स्टार्टअप्स के लिए लिस्टिंग के नियमों में रियायत दी है. सेबी ने डीलिस्टिंग के नियमों में बदलाव किया है और प्रमोटर को एक पब्लिक शेयरहोल्डर के तौर पर फिर से वर्गीकृत किया है. अपनी मीटिंग में सेबी के बोर्ड ने कंपनियों के स्थायित्व की रिपोर्टिंग के मसलों से जुड़े हुए उपायों को मंजूरी दी है. साथ ही सेबी की बोर्ड मीटिंग में इन कंपनियों में कॉरपोरेट गवर्नेंस प्रैक्टिस को भी मजबूत बनाने के कदमों और लिस्टेड कंपनियों की डिसक्लोजर जरूरतों के नियमों को भी मंजूरी दी गई है. इसके अलावा, बोर्ड ने ऑल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (AIF) से जुड़े हुए नियमों में भी संशोधन किया है और पोर्टफोलियो मैनेजरों के लिए कंपनी में कंट्रोल में बदलाव पर रेगुलेटर से पहले से मंजूरी लेना जरूरी है. शेयरहोल्डर्स के लिए जानकारियां मुहैया कराने के मकसद से सेबी ने तय किया है कि लिस्टेड कंपनियों को एनालिस्ट और इनवेस्टर्स मीटिंग की ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को अपनी वेबसाइट पर और स्टॉक एक्सचेंजों को उपलब्ध कराना होगा. सेबी ने कहा है कि कंपनियों को यह काम मीटिंग के 24 घंटे के भीतर या अगले ट्रेडिंग दिन से पहले करना होगा. इसके अलावा, इन कॉन्फ्रेंस कॉल्स को लिखित रूप में भी वेबसाइट्स और स्टॉक एक्सचेंजों को पांच कामकाजी दिनों के भीतर मुहैया कराना होगा. सेबी ने अपने लिस्टिंग ऑब्लिगेशंस एंड डिसक्लोजर रिक्वायरमेंट्स रेगुलेशंस, 2015 में कई संशोधनों को भी मंजूरी दी है. संशोधन के तहत डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन पॉलिसी को टॉप-1000 लिस्टेड कंपनियों के लिए भी तैयार करने की बात कही गई है. बोर्ड मीटिंग्स के एक दिन से ज्यादा चलने के मामले में सेबी ने कहा है कि लिस्टेड कंपनियों के वित्तीय नतीजे बोर्ड मीटिंग के खत्म होने के 30 मिनट के भीतर दे दिए जाने चाहिए. रिस्क मैनेजमेंट कमेटी (RMC) बनाने की जरूरत भी मार्केट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से टॉप-1,000 लिस्टेड कंपनियों के लिए बढ़ा दिया गया है. अभी तक यह टॉप-500 लिस्टेड इकाइयों के लिए ही जरूरी था. डीलिस्टिंग की प्रक्रिया को और पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए सेबी ने कहा है कि स्वतंत्र निदेशकों की कमेटी को डीलिस्टिंग के प्रस्ताव पर अपनी सिफारिशों को वजह सहित बताना होगा.
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