Investment In Unlisted Market: अनलिस्टेड मार्केट में चल रही तेजी को देख कई निवेशक इसमें पैसा लगाने की सोच रहे हैं.
पेटीएम, रिलायंस रिटेल, HDB फाइनेंशियल, चेन्नई सुपर किंग्स जैसी कंपनियों के अनलिस्टेड शेयर के बढ़ते भाव निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं. अनलिस्टेड मार्केट (Investment In Unlisted Market) में ट्रेड करना चाहते हैं, तो इसके साथ जुड़े कुछ जोखिम को समझ लेना जरूरी है.
मित्तल पॉर्टफोलियोज के डायरेक्टर और Delistedstocks.in के सह-स्थापक मनीष मित्तल बताते हैं कि लिस्टेड शेयर BSE या NSE जैसे एक्स्चेंज पर खरीद या बेच सकते हैं.
वहां अनलिस्टेड शेयर के लिए आपको ब्रोकर या डीलर से संपर्क करना पड़ेगा. ब्रोकर का अनुभव ध्यान में रखकर डील करें. अनुभवी डीलर पसंद करने से लेन-देन में ज्यादा आसानी होगी. आपको ऐसा डीलर पसंद करना चाहिए, जो ख्याति प्राप्त हो और विश्वसनीय हो.
प्री-IPO और अनलिस्टेड मार्केट में कारोबार करने वाली UnlistedArena.com के संस्थापक अभय दोशी बताते हैं कि अनलिस्टेड शेयर्स में इंवेस्टमेंट एक तरह का इक्विटी क्लास है.
वहीं, लिक्विडिटी को रियल एस्टेट समझ सकते हैं. जैसे आपको रियल एस्टेट बेचने के लिए वक्त देना पड़ता है. वैसे ही अनलिस्टेड शेयर्स में तुरंत लिक्विडिटी संभव नहीं है.
मनीष मित्तल बताते हैं कि अनलिस्टेड शेयर की क्वॉलिटी अच्छी होगी, तो आपको मुनाफा होगा. ब्रोकर आपको जितने भी स्टॉक का ऑफर दे, उसकी क्वॉलिटी चेक करनी चाहिए.
कई निवेशक कम भाव के शेयर खरीदना पसंद करते हैं. इस चक्कर में वे हल्की गुणवत्ता के शेयर खरीद लेते हैं. उदाहरण है मेट्रो पोलिटन एक्स्चेंज. पैसा ना गंवाना पड़े, इसलिए आपको प्रोफिटेबल कंपनी के ही अनलिस्टेड शेयर खरीदने चाहिए.
आपके पास जिस कंपनी के अनलिस्टेड शेयर हैं, उस कंपनी की IPO योजना किसी कारण विलंब में पड़ सकती है या कैंसल भी हो सकती है.
कंपनी किसी बड़ी मुसीबत में फंस जाए, तो ऐसी आशंका रहती है कि अनलिस्टेड शेयर को IPO में बेचकर ज्यादा मुनाफा कमाने की उम्मीद है. ऐसे हालात में आपकी उम्मीदों पर पानी फिर सकता है.
बड़े ब्रांड के साथ जुड़े होने की वजह से कुछ स्टॉक (रिलायंस रिटेल, HDB फाइनानेंशियल आदि) का वैल्यूएशन बहुत ही ऊंचा होता है. ये जरूरी नहीं है कि, आपने 100 रुपये में अनलिस्टेड शेयर खरीदा है, वो IPO के बाद 120 रुपये में ही बिकेगा.
अनलिस्टेड मार्केट में कई शेयर ऐसी कंपनी के भी है, जिसने 5-7 साल से 1% ग्रोथ भी नहीं किया. यदि आप ऐसे शेयर ऊंचे भाव में खरीदेंगे, तो बाद में बड़ा घाटा हो सकता है क्योंकि कंपनी का प्रॉफिट ही जीरो होता है. उदाहरण है मरिनो इंडस्ट्रीज.
दूसरों की बाते सुनकर शेयर खरीदने से बेहतर है कि सभी पहलु देखने के बाद डील करें. नकद में भुगतान न करें. बैंकिंग चैनल का उपयोग करें. कंपनी की रिसर्च रिपोर्ट मांगे. केवल एक ब्रोकर पर भरोसा न करें, दूसरे ब्रोकर की राय लें.
अभय दोशी बताते हैं कि आप कितना रिस्क ले सकते हैं, उस आधार पर अनलिस्टेड मार्केट में पैसे लगाने चाहिए. मेरा व्यक्तिगत मानना है कि 20% इंवेस्टमेंट आदर्श प्रमाण है.
मनीष मित्तल बताते है कि क्वालिटी शेयर हो, तो इक्विटी पोर्टफोलियो का 50% तक इंवेस्ट कर सकते हैं.
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