गुजरा वित्त वर्ष 2020-21 में शेयर बाजार में निवेशकों ने जमकर चांदी काटी है. एक वित्त वर्ष के प्रदर्शन को देखा जाए तो गुजरे वित्त वर्ष में भारतीय शेयर बाजार का परफॉर्मेंस एक दशक में सबसे तगड़ा रहा है. गौर करने वाली बात ये है कि मार्केट ने इस दौरान कोविड-19 से पैदा हुई उथल-पुथल के बीच ऐसा जबरदस्त रिटर्न दिया है. पिछले वित्त वर्ष (2020-21) में निफ्टी ने निवेशकों को 71 फीसदी के करीब रिटर्न दिया है. जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष यानी 2019-20 में निफ्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था. 2019-20 में निफ्टी ने -26.03 फीसदी रिटर्न दिया है.
2020-21 से पहले इतना तगड़ा रिटर्न निफ्टी ने 2009-10 में दिया था. उस वक्त निफ्टी ने 73.76 फीसदी का जबरदस्त परफॉर्मेंस किया था. पिछले साल मार्केट में विदेशी निवेशकों ने जमकर पैसा लगाया है. फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPI) ने पिछले वित्त वर्ष में 2,73,603 करोड़ रुपये लगाए हैं. जबकि इससे ठीक पिछले साल FPI ने मार्केट से 2,427 करोड़ रुपयों की नेट निकासी की थी.
वित्त वर्ष 2009-10 में FPI ने मार्केट्स में 1,10,855 करोड़ रुपये लगाए थे. अगर आंकड़ों को देखें तो गुजरे वित्त वर्ष में विदेशी निवेशकों ने निफ्टी में एक दशक से भी ज्यादा वक्त में सबसे तगड़ा निवेश किया है. अमरीकी सरकार के कोविड-19 से निपटने के लिए ऐलान किए गए भारी-भरकम स्टीमुलस पैकेज और डॉलर में आई कमजोरी के चलते विदेशी निवेशकों ने तगड़ा निवेश भारतीय बाजारों में किया है.
हालांकि, घरेलू निवेशक भी इस मामले में पीछे नहीं रहे हैं और उन्होंने बाजार में जमकर पैसा निवेश किया है. निवेशकों ने इस दौरान म्यूचुअल फंड्स से पैसे निकाले और खुद ही मार्केट में पैसे लगाने पर भरोसा किया है.
हालांकि, मार्केट की मौजूदा तेजी के चलते एक्सपर्ट्स ये सवाल भी उठा रहे हैं कि क्या मार्केट कहीं ज्यादा तेजी से तो नहीं ऊपर चढ़ा है. इसके अलावा, कोविड-19 की दूसरी लहर को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा हो रही हैं. मार्केट को लेकर ये डर पैदा हो रहा है कि कोविड-19 की दूसरी लहर अगर ज्यादा तेजी से फैली और सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा तो शेयर मार्केट्स में तेज गिरावट आ सकती है.
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