LIC IPO: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी LIC में सरकार डिसइन्वेस्टमेंट करेगी यानि हिस्सा बेचेगी. इस बार के बजट में ये वित्त मंत्री के सबसे बड़े ऐलानों में शामिल था. लेकिन अगर सरकार हिस्सा बेचकर रकम जुटाएगी तो इससे पॉलिसी होल्डर्स (Policy Holders) का क्या लेना देना? बिल्कुल है जी. पॉलिसी होल्डर्स के दम पर ही कंपनी की ग्रोथ है और इसी लिहाज से सरकार एलआईसी के आईपीओ (LIC IPO) में 10 फीसदी हिस्सा पॉलिसी होल्डर्स (Policy Holders) के लिए रिजर्व रख सकती है.
सरकार ने 2021-22 के वित्त वर्ष में ही एलआईसी का आईपीओ LIC IPO लाने का ऐलान किया है. अगर आपके पास भी पॉलिसी है तो आपके पास भी मौका है कि इस रिजर्वेशन का फायदा उठाएं और LIC जैसी दिग्गज इंश्योरेंस कंपनी के शेयरों में ग्रोथ पर दांव लगा सकें.
अक्सर सरकारी कंपनियां जब लिस्टिंग के लिए IPO लाती हैं तो उनमें उनके कर्मचारियों के लिए हिस्सेदारी रिजर्व रहती है. एलआईसी के आईपीओ में पॉलिसी होल्डर्स को भी इसी तरह की सुविधा की उम्मीद है.
रिजर्व करने की जरूरत क्यों?
LIC भारत की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है और घर-घर से इसका नाता है. ऐसी कंपनी के लिस्ट होने पर कंपनी की वैल्यू बाजार में पता चलेगी और कंपनी के बढ़िया प्रदर्शन की उम्मीद सभी को है. LIC जैसे बड़े नेटवर्क वाली कंपनी पर सभी दांव लगाना चाहेंगे. ऐसे में अलॉटमेंट के लिए कंपीटिशन बड़ा होगा. हमने हाल ही के IPOs में देखा है कि छोटी कंपनियों के इश्यू को भी बंपर रिस्पॉन्स मिला और इश्यू के मुकाबले कई गुना सब्स्क्रिप्शन आया.
अगर पॉलिसी होल्डर्स के लिए 10 फीसदी हिस्सा रिजर्व रहता है तो ये उन पॉलिसी होल्डर्स के लिए फायदेमंद होगा जो LIC IPO के जरिए कंपनी के शेयरों में निवेश कर लिस्टिंग पर होने वाली कमाई कर सकें.
कैसे उठाएं फायदा?
LIC IPO में निवेश करने के लिए आपके पास डीमैट खाता होना चाहिए. शेयर बाजार में किसी भी शेयर या IPO में पैसा लगाने के लिए आपके पास डीमैट खाता होना अनिवार्य है क्योंकि यहीं डिपॉजिटरी आपके शेयर होल्ड करती है. डीमैट खाता आप घर बैठे ही ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए खुलवा सकते हैं. आपकी KYC जानकारी मांगी जाती है. कई ट्रेडिंग प्लैटफॉर्म्स इसकी सुविधा देते हैं.
क्या होता है IPO?
IPO – इनिशियल पब्लिक ऑफर यानि कोई कंपनी जब पब्लिक से पैसे जुटाने के लिए ऑफर लाती है और इसके बदले उन्हें अपने शेयर देते हैं तो उसे IPO कहा जाता है. IPO के बाद ही कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होती है और इसके लिए उन्हें रेगुलेटर्स से मंजूरी लेनी पड़ती है. IPO में जो इश्यू प्राइज तय होता उसके के बीच में आपको बिड करना होता है.
सरकार ने अगले वित्त वर्ष में 1.75 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा है. इसमें अन्य कई सरकारी कंपनियां भी शामिल हैं लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में LIC IPO ही है.
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