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निवेश करने से पहले सबसे बड़ा सवाल रहता है कि नियमित निवेश के लिए पैसे कैसे जोड़ें?
पेट्रोल-डीजल-सीएनजी, इंश्योरेंस, टोल, टायर सब कुछ तो महंगा हो गया. उबर वालों ने किराया 15 फीसद बढ़ा दिया.
हो सकता है कि आपके जेहन में ये सवाल आए कि कच्चे तेल के दाम आखिर बढ़ क्यों रहे हैं? इसके दो जवाब हैं. पहला अंतरराष्ट्रीय बाजार में जारी उठापटक.
जिन परिवारों में शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर बच्चे होते हैं उनकी देखभाल और आर्थिक सुरक्षा के लिए ज्यादा जरूरत रहती है.
बैंक ने शिकायत मिलने के एक महीने के भीतर उसका जवाब नहीं दिया हो, या शिकायत खारिज कर दी हो या फिर आप बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं.
देश में खपत होने वाला लगभग 98 फीसद सूरजमुखी तेल विदेशों से आयात होता है. इसी तरह करीब 96 फीसद पाम तेल और लगभग 50 सोया तेल के लिए निर्भरता आयात पर
कमोडिटी कीमतें इस जंग के पहले से ऊपर चढ़ने लगी थीं. अब इनमें और तेजी आ गई है. महंगाई की एक वजह, क्रूड यानी कच्चे तेल के दामों में लगी आग है.
टैक्स सेविंग के लिए ईएलएलएस आकर्षक विकल्प है. इक्विटी से जुड़ी इस योजना में बेहतर रिटर्न की संभावना रहती है.
कई जानकार ऐसी राय देते हैं कि किसी स्थिर, सुरक्षित और लिक्विड डेट म्यूचुअल फंड में पैसा लगाना है तो बैंकिंग और पब्लिक सेक्टर डेट फंड में जाना
क्रेडिट कार्ड रखें या न रखें, यह सहूलियत बढ़ाते हैं या तकलीफ? क्रेडिट कार्ड कितने काम आ सकते हैं और कितनी जेब काट सकते हैं?