श्रम और रोजगार मंत्रालय असंगठित श्रमिकों और व्यापारियों के लिए चलाई जा रही स्वैच्छिक पेंशन योजना में धीमे नामांकन के लिए LIC की भूमिका का करेगा पुनर्मूल्यांकन
देश में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों और कारोबारियों के लिए चलाई जा रही स्वैच्छिक पेंशन योजना में भारतीय जीवन बीमा निगम ( LIC) के प्रदर्शन से सरकार खुश नहीं है. स्वैच्छिक पेंशन योजना में धीमे नामांकन को देखते हुए श्रम और रोजगार मंत्रालय ने LIC के साथ 500 कॉमन सर्विस सेंटर के काम की समीक्षा करने की योजना बनाई है. श्रम और रोजगार मंत्रालय देश में स्वैच्छिक पेंशन योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए LIC के साथ CSC के परिचालन ढांचे को भी सख्त बनाने की कोशिश कर रहा है.
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) से ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को जोड़ने के लिए LIC और CSC को जिम्मेदारी दी हुई है. एनपीएस और पीएम-एसवाईएम योजनाओं का प्रीमियम कम होने के चलते एलआईसी और कॉमन सर्विस सेंटर ज्यादा गंभीर नहीं है. लेकिन अब श्रम और रोजगार मंत्रालय इस रवैये को लेकर सख्त हो गया है. साल 2019 में व्यापारियों, श्रमिकों और स्वरोजगार करने वालों के लिए एनपीएस और प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना को खोला गया था. सरकार के इस योजना के संचालन के लिए सीएसई को प्रत्येक इन्रोलमेंट पर इन्हें 30 रुपए कमीशन मिलता है.
दिए जा सकते हैं टार्गेट
इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीएससी के साथ हुई एक रिव्यू मीटिंग में श्रम और रोजगार मंत्रालय इन योजनाओं से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए सीएससी के लिए न्यूनतम इन्रोलमेंट टार्गेट निर्धारित करने का सुझाव दिया है. इतना ही नहीं, इन टारगेट्स को पूरा कराने के लिए मॉनेटेरिंग सिस्टम बनाने पर भी विचार किया गया है.
कितने हैं सब्सक्राइबर्स
अभी इन योजनाओं की तरफ लोगों को रुझान कम ही दिख रहा है. एनपीएस योजना में केवल 52,671 व्यवसायियों ने ही निवेश किया है, जबकि यह योजना पिछले चार साल से चल रही है. इसके बाद भी, अब तक सब्सक्राइबर्स की संख्या कम ही है. दूसरी तरफ, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना में करीब 49 लाख लोगों ने ही पैसे लगाए हैं, जबकि देश में असंगठित क्षेत्र में 40 करोड़ श्रमिक काम कर रहे हैं. यानी इसमें भी अब तक श्रमिकों का रुझान नहीं देख रहा है.