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अगर कोई पीएफ खाताधारक अपने अकाउंट में नॉमिनी बनाकर रखता है तो सदस्य की मौत होने पर आसानी से ऑनलाइन क्लेम सेटलमेंट किया जा सकता है.
एफडी पर ब्याज दरें बढ़कर 8% तक पहुंच गई हैं लेकिन जिन लोगों ने एक साल पहले निवेश किया था उन्हें 5 से 6 फीसद तक ही रिटर्न मिल रहा है.
एफडी पर आसानी से लोन मिल जाता है. मामूली सी औपचारिकताएं पूरी करने पर ही यह लोन आसानी से मिल जाता है. यह कर्ज एफडी पर मिलने वाले ब्याज की तुलना में एक फीसद तक महंगा होता है. इसके अलावा, ईपीएफ, पीपीएफ, एनएससी, किसान विकास पत्र आदि पर कर्ज का प्रावधान है. बैंकों के पर्सनल लोन की तुलना में यह काफी सस्ता पड़ता है.
एजुकेशन लोन के भुगतान में चूक करने से छात्र के साथ को-एप्लीकेंट की मुश्किलें बढ़ जाती हैं. इससे क्रेडिट स्कोर खराब हो जाता है क्योंकि को-एप्लीकेंट ही इस लोन के गारंटर हैं.
एजुकेशन लोन छात्र के नाम पर होता है लेकिन उसमें गारंटर की जरूरत पड़ती है जो आमतौर पर छात्र के माता-पिता होते हैं. यह लोन बिना जमानत यानी बिना किसी सिक्योरिटी के दिया जाता है.
कर्जदार की ओर से वसूली का दबाव, भागता ब्याज, ऊपर से लेट फीस. इससे दबाव में आकर व्यक्ति एक लोन से छुटकारा पाने के लिए दूसरा और फिर तीसरा लोन ले बैठते हैं. इस तरह वह महंगे लोन के जाल में फंस जाता है.
जैसे ही आप बचत खाता खोलते हैं, आप अपनी वसीयत लिखने के पात्र हो जाते हैं. वसीयत को बिना किसी कानूनी शब्दजाल के बिल्कुल सरल भाषा में भी लिखा जा सकता है.
अपने एचआर डिपार्टमेंट से विभिन्न प्रकार के एलाउंसेस के बारे में पूछिए. इसकी अधिकतम सीमा और इसको लेने के तरीके को समझिए.
Cost to Company यानी CTC आपको जॉब के ऑफर लेटर के साथ दी जाती है. यह रकम बताती है कि एक एम्पलॉय को हायर करने में कंपनी कितना कॉस्ट यानी लागत आ रही है.
अगर किसी खाते में जमा राशि शून्य हो जाती है तो उसे बंद कर देना चाहिए. लेकिन कमाई के चक्कर में बैंक नैतिकता को ताक पर रखकर लोगों की जेब ढीली कर रहे हैं.