बैंकों की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की ब्याज दरों में वृद्धि कि सिलसिला जारी है. निजी क्षेत्र के कोटक महिन्द्रा बैंक ने गुरुवार को एफडी की दरों में आधा फीसद तक की वृद्धि की है. बैंक एफडी पर 7.10 फीसद तक ब्याज दे रहा है. नॉन बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) एफडी पर और भी बेहतर रिटर्न दे रही हैं. कंपनी आम लोगों के लिए ब्याज दरें बढ़ाकर 8.35 फीसद कर दी है. सीनियर सिटीजन को 8.6 फीसद तक ब्याज दिया जा रहा है. इसके अलावा कई NBFC एफडी बैंकों की तुलना में दो फीसद तक ज्यादा ब्याज दे रही हैं. अब सवाल ये है क्या फाइनेंस कंपनी की एफडी में निवेश करना चाहिए? अगर बैंक और NBFC की एफडी में क्या बेहतर विकल्प है?
कितना मिल रहा रिटर्न?
जब भी निवेश की बात आती है तो सबसे पहले सब यही जानना चाहते हैं कि रिटर्न कितना मिलेगा? बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट 7 दिन की छोटी अवधि से लेकर 10 साल के लिए की जाती है. अलग-अलग अवधि के आधार पर सालाना 3.00 से 7.25 फीसद तक का रिटर्न मिल है रहा है. सरकारी बैंकों में पीएनबी सबसे अधिक 7.25 फीसद तक ब्याज दे रहा है. निजी क्षेत्रों के बैंक 8.00 फीसद तक ब्याज दे रहे हैं. सीनियर सिटीजन को आधा फीसद तक का ब्याज मिल रहा है. अगर हम कॉरपोरेट एफडी की बात करें तो मजबूत क्रेडिट रेटिंग वाली कंपनियां एक से पांच साल की एफडी पर 8.35 फीसद तक का सालाना रिटर्न दे रही हैं. फिलहाल देखें तो महिन्द्रा फाइनेंस का रिटर्न 7.75 फीसद तक है. इनमें भी बुजुर्गों को कुछ ज्यादा ब्याज ऑफर किया जा रहा है.
कॉरपोरेट FD में सालाना ब्याज
बजाज फाइनेंस 8.35% तक महिन्द्रा फाइनेंस 7.40-7.75% LIC हाउसिंग फाइनेंस 7.25-7.75% HDFC Ltd. 7.40% तक HUDCO 7.50% तक source: bankbazaar.com
कितना जोखिम?
हर कोई व्यक्ति अपने निवेश पर ज्यादा से ज्यादा रिटर्न चाहता है. लेकिन रिटर्न की चाहत में निवेश से जुड़े रिस्क यानी खतरों को भी समझिए. PSU बैंक हो या निजी क्षेत्र के बैंक दोनों ही RBI के अधीन आते हैं वहीं कॉर्पोरेट कंपनियां की FD RBI की निगरानी में नहीं आती. कार्पोरेट FD यानी निजी कंपनियों की एफडी में उनकी रेटिंग जरूर देखें. AA या AAA रेटिंग है तो यह निवेश सुरक्षित हो सकता है. इससे नीचे की रेटिंग वाली एफडी पर जोखिम बढ़ता जाता है. ये भी देखने को मिलता है कि कंपनियों की रेटिंग जितनी कम होती है वो कंपनियां निवेशक को खींचने के लिए उतना ज्यादा ब्याज भी देते हैं.
उधर बैंक एफडी पर आरबीआई के नियमों का पालन किया जाता है. बैंक दिवालिया होने की स्थिति में एफडी की पांच लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहती है. इसके लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन यानी DICGC के जरिए बीमा कवर मिलता है. DICGC आरबीआई की सहायक इकाई है. लेकिन कंपनी एफडी में यह बीमा कवर नहीं मिलता. अगर कोई कंपनी दिवालिया होती है या डूबती है तो एफडी का पैसा मिलना मुश्किल हो जाता है.
इस हिसाब से निवेश के लिए बैंकों की एफडी ज्यादा सुरक्षित हैं. लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि कॉरपोरेट एफडी जोखिम भरा निवेश है. मजबूत क्रेडिट रेटिंग वाली एफडी सुरक्षित विकल्प साबित होती हैं.
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