राहुल के पिताजी ने करीब 40 साल पहले नोएडा में एक प्लाट खरीदा था. पिताजी की मौत के बाद उन्होंने घर के कागजात देखे तो पता चला कि यह मकान तो 99 साल की लीज पर है. राहुल अब चिंता में है लीज खत्म होने के बाद क्या यह मकान छोड़ना पड़ेगा ? नियम तो यही है कि लीज यानी पट्टे की अवधि खत्म होने के बाद प्रॉपर्टी मूल मालिक को वापस हो जाती है. ज्यादातर 99 साल की लीज पर पॉपर्टी दी जाती है, राहुल के पिता ने भी जो मकान खरीदा था उसकी भी 99 साल की लीज थी, ऐसे में राहुल की चिंता वाजिब है.
दरअसल, प्रॉपर्टी के सौदे 2 तरह से होते हैं, या तो फ्रीहोल्ड डील होती है या फिर लीज पर प्रॉपर्टी ली जाती है. फ्री होल्ड डील में जिसने प्रॉपर्टी खरीदी, वही मालिक रहता है जबकि लीज वाली डील में निर्माण से लेकर 99 साल तक प्रॉपर्टी इस्तेमाल का अधिकार होता है. आम तौर पर किसी भी प्रॉपर्टी की लीज 99 साल के लिए होती है लेकिन बड़ा सवाल है कि 99 साल ही क्यों?
99 साल के लिए ही लीज क्यों ?
प्रॉपर्टी एक्सपर्ट प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि लीज अग्रीमेंट में नियम व शर्तें लिखी होती हैं, जिसमें लीज की अवधि, मालिक और ग्राहक के अधिकार और कर्तव्य, टर्मिनेशन क्लॉज तथा विवाद निपटारा शामिल होता है. 99 साल की अवधि का मकसद जमीन के बार-बार यूज और उसके ट्रांसफर पर लगाम लगाना है. लीज को शुरुआती दिनों में इसे एक सुरक्षित समय अवधि के विकल्प के तौर पर देखा गया था जो लीज लाइफ को कवर करता है. साथ ही यह संपत्ति के मालिकाना हक को सुरक्षित रखने के लिए 99 साल सही अवधि मानी गई. उदाहरण के तौर गाजियाबाद में फ्रीहोल्ड जमीन पर लोग छोटे-छोटे प्लाट पर फ्लोर बनाकर बेच रहे हैं जबकि नोएडा में इस तरह के निर्माण अनुमति नहीं है. इस तरह की रोक लीज की वजह से ही संभव हो पाई है.
लीज खत्म होने के बाद क्या ?
आमतौर पर लीज की अवधि समाप्त होने के बाद अथॉरिटी कुछ शुल्क लेकर लीज प्रॉपर्टी को फ्री होल्ड में बदलने का विकल्प देती है. अगर यह विकल्प नहीं दिया है तो कुछ भुगतान करने पर इसे लीज को रिन्यू कराने का विकल्प मिलता है.
दिल्ली में डीडीए समय-समय पर ऐसी संपत्तियों को परिवर्तित करने के लिए फ्रीहोल्ड कन्वर्जन स्कीम लेकर आता है. इसमें 100 मीटर तक के प्लाट करीब 85 हजार रुपए का शुल्क वसूला जाता है. नोएडा प्राधिकरण ने अब तक फ्रीहोल्ड कन्वर्जन शुरू नहीं किया है, लेकिन भविष्य में ऐसी योजना के साथ आ सकता है. यानि राहुल को भी इंतजार करना पड़ सकता है…
ऐसा भी माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति का लीज की प्रॉपर्टी पर 100 साल से कब्जा है तो वह स्वतः ही फ्रीहोल्ड संपत्ति हो जाएगी. हालांकि नोएडा या डीडीए की ओर से आवंटित प्रॉपर्टी को अभी 99 साल नहीं हुए हैं. ऐसे में यह कब्जे वाली बात पूरी तरह सत्य नहीं है… इस अवधि के पूरा होने के बाद ये प्राधिकरण क्या रुख अपनाएंगे, यह तो समय ही बताएगा.
मनी9 की सलाह
आमतौर पर लीजहोल्ड प्रॉपर्टी फ्रीहोल्ड की तुलना में सस्ती पड़ती है. यह भी हकीकत है कि लीज को रिन्यू कराने या प्रॉपर्टी का कन्वर्जन कराने में पैसा खर्च होता है. ऐसे में डील करने से पहले मोटे तौर पर यह आकलन कर लेना चाहिए इस एवज में कितना खर्च आएगा.
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