जब आप कोई प्रापर्टी खरीदते हैं तो उसे ज्वाइंट ओनरशिप यानि संयुक्त नाम से पंजीकृत कराने का विकल्प मिलता है. लेकिन आमतौर पर लोग अज्ञानता के कारण ज्वाइंट ओनरशिप में प्रॉपर्टी नहीं खरीदते और अंतत: घर जैसी जीवन की सबसे बड़ी डील अकेले नाम से ही पक्की कर लेते हैं.
किसे बना सकते हैं साझीदार प्रॉपर्टी के ज्वाइंट ओनरशिप के फायदे समझें. इससे पहले जान लें खरीदने से पहले किसे साझीदार बनाया जाए. अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं जो बताए कि किसके साथ ज्वाइंट ओनरशिप में प्रॉपर्टी खरीदी जाए और किसके साथ नहीं. आम तौर पर घर जैसी प्रॉपर्टी खरीदने के लिए लोग अपने करीबी रिश्तेदार जैसे पति-पत्नी, माता-पिता, बच्चे, भाई-बहन का ही नाम ज्वाइंट ओनरशिप में डालते हैं जो ठीक भी है. लेकिन कई बार लोग मित्र या बिजनेस पार्टनर को भी संयुक्त रूप से पॉपर्टी का मालिक बनाते हैं. आम तौर पर बैंक उस प्रॉपर्टी पर लोन देते समय ज्यादा पूछताछ नहीं करते जिसमें संयुक्त मालिक करीबी रिश्तेदार हो. लेकिन संयुक्त मालिक अगर बिजनेस पार्टनर या दोस्त हो तो फिर बैंक लोन देने से पहले अपनी पूछताछ बढ़ा देते हैं.
टैक्स में बड़ी बचत टैक्स एवं इंवेस्टमेंट एक्सपर्ट बलवंत जैन बताते हैं कि जो लोग संयुक्त रूप से घर खरीदते हैं. उन्हें टैक्स प्लानिंग में बड़ी राहत मिलती है. दरअसल, टैक्स छूट के लिए होमलोन की ईएमआई में मूलधन के भुगतान पर धारा 80सी के तहत 1.50 लाख रुपए तक की रकम और धारा 24बी के तहत सालाना दो लाख रुपए तक के ब्याज भुगतान पर टैक्स सेविंग का लाभ मिलता है.
इस लाभ के लिए सिर्फ मालिक अथवा संयुक्त मालिक ही दावा कर सकता है. यदि आप संपत्ति के मालिक नहीं हैं तो होमलोन पर टैक्स सेविंग का लाभ नहीं मिलेगा, भले ही आप इसकी ईएमआई क्यों न चुका रहे हों.
अगर यही संपत्ति ज्वाइंट ओनरशिप यानि संयुक्त रूप से खरीदी है और लोन वापसी के लिए दोनों संपत्ति मालिकों ने ईएमआई बांट रखी हो तो दोनों लोग साढ़े 3 लाख रुपए की आय पर टैक्स बचा सकते हैं. इस तरह संपत्ति अगर पति पत्नी के नाम पर है तो दोनों मिलकर कुल सात लाख रुपए तक की आय पर टैक्स बचा सकते हैं. इतना ही नहीं यदि दोनों ऊपरी स्लैब में आते हैं और लंबी अवधि का लोन हो तो फायदा और भी बढ़ सकता है.
संपत्ति का उत्तराधिकार संपत्ति के ज्वाइंट ओनरशिप के और भी कई फायदे हैं. आजकल अधिकांश लोग सोसायटियों में फ्लैट खरीदने में रुचि रखते हैं. ऐसी जगहों पर भी संयुक्त नामों से घर खरीदना बेहतर रहता है. यदि किसी एक धारक को कुछ हो जाता है तो सोसायटी आमतौर पर इस फ्लैट को दूसरे साझीदार के नाम पर ट्रांसफर कर देती हैं. इस दौरान एनओसी के लिए उत्तराधिकारी को किसी भी तरह की भागदौड़ और कानूनी कार्रवाई नहीं करनी पड़ती. लेकिन फ्लैट ट्रांसफर कराने की नौबत आ जाए तो ज्वाइंट ओनरशिप की तुलना में यह प्रक्रिया काफी जटिल और खर्चीली है.
और भी कई लाभ ज्वाइंट ओनरशिप में संपत्ति का पहला मालिक अगर महिला है तो और भी फायदे हैं. कई राज्य महिलाओं के प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में छूट दे रहे हैं. इसी तरह कुछ बैंक होमलोन पर महिलाओं को रियायत भी देते हैं.
मनी9 की सलाह घर खरीदने में जीवनसाथी को साझीदार बनाने से होमलोन की राह आसान हो जाएगी. इस पहल से सबसे बड़ा फायदा टैक्स सेविंग का है. लोन की अवधि तक दोनों पति-पत्नी सालाना सात लाख रुपए की आय पर पूरा टैक्स बचा सकते हैं.
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