उत्तराखंड सरकार पति की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में महिलाओं को सह-स्वामित्व का अधिकार देने के लिए एक अध्यादेश लेकर आई है. ऐसा अधिकार देने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. राज्य में बढ़ते पलायन को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ये अध्यादेश लाई है.
आजीविका की तलाश में राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में पुरुषों के दूसरी जगह जाने के मद्देनजर यह अध्यादेश लाया गया है.
अध्यादेश महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता उपलब्ध कराने पर केंद्रित है जो पीछे रह जाती हैं और जिन्हें अपनी गुजर-बसर के लिए खुद कृषि पर ही निर्भर रहना पड़ता है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसे अपनी सरकार का सबसे बड़ा सुधार बताते हुए कहा कि उत्तराखंड ने ‘‘अन्य राज्यों के लिए भी एक दृष्टांत स्थापित किया है.’’
राज्य के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि उत्तराखंड महिलाओं को उनके पति की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में सह-स्वामित्व का अधिकार देने वाला पहला राज्य है.
प्रदेश भाजपा महिला मोर्चे की अध्यक्ष रितु खंडूरी ने कहा कि यह एक ‘‘ऐतिहासिक निर्णय है जो महिलाओं को सशक्त करेगा.’’
हिस्सेदारी पर क्या हैं अहम नियम?
– तलाकशुदा होने पर अगर पति पत्नी को खर्चा देने में अमसर्थ है तो महिला को को-ओनरशिप मिलने की अनुमति होगी. हालांकि अगर कोई महिला तलाक के लिए फाइल करती है और किसी और से शादी करती है तो पति की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) पर सह-मालिकाना हक नहीं माना जाएगा.
– महिला को पिता की संपत्ति में भी अधिकार दिए गए हैं. महिला के निःसंतान होने पर या पति के 7 साल से अधिक समय तक लापता होने पर पिता की संपत्ति में हिस्सेदार बन सकती है. वहीं पैतृक संपत्ति या खाता में नाम होने पर महिला लोन भी ले सकती है.