कोविड-19 महामारी की वजह से रियल एस्टेट बाजार में स्लोडाउन आ गया था. हालांकि पिछले 18 महीनों में रियल एस्टेट सेक्टर में फिर से जोरदार मांग देखने को मिली थी. मकानों की बिक्री भी ट्रैक पर आ गई थी. लेकिन एक बार फिर इस सेक्टर में मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. रियल एस्टेट सेक्टर में एक बार फिर बिक्री की तुलना में तेज गति से इन्वेन्ट्री बढ़ रही है. यानी लोग इतने मकान खरीद नहीं रहे हैं जितनी इनकी सप्लाई है.
चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में सेक्टर की इन्वेंट्री साल-दर-साल आधार पर 28 फीसद बढ़ी, जबकि इसी अवधि के दौरान शुद्ध बिक्री में साल-दर-साल 25.5 फीसद की वृद्धि हुई. बीते वित्त वर्ष की पहली छमाही में विपरीत तस्वीर देखने को मिली. वित्त वर्ष 2022-23 की पहली छमाही में शुद्ध बिक्री में साल-दर-साल 24.2 फीसद की वृद्धि हुई, जबकि इन्वेंट्री साल-दर-साल सिर्फ 8.2 फीसद बढ़ी.
इसका नतीजा यह रहा कि सभी बड़ी लिस्टेड कंपनियों की इन्वेन्ट्री 1.045 लाख करोड़ रुपये की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई. अगर मौजूदा रफ्तार पर बिक्री आगे भी जारी रही तो इन इन्वेन्ट्री को बेचने में 33 महीने लग जाएंगे. इस समय इन्वेन्ट्री मार्च 2021 के अंत में 72,572 करोड़ रुपये से 44 फीसद की वृद्धि है.
बिजनेस स्टेंडर्ड के सैम्पल में रियलटी कंपनियों ने अप्रैल-सितंबर 2023 के दौरान 17,464 करोड़ रुपए की बिक्री रिपोर्ट की है. एक साल पहले के 13,911 करोड़ रुपए की सेल्स से यह 25.5 फीसद ज्यादा है. इन कंपनियों की ना बिकने वाले प्रॉपर्टी की संयुक्त इन्वेन्ट्री चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में साल -दर साल आधार पर 28 फीसद बढ़ी है. इस दौरान इन कंपनियों के पास 81,720 करोड़ रुपए की बिना बिकी प्रॉपर्टी थी.
यह विश्लेषण 19 सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनियों के एक सेम्पल पर आधारित है जो बीएसई 500, बीएसई मिडकैप और बीएसई स्मॉलकैप सूचकांकों का हिस्सा हैं.