भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नए आदेश के तहत अब ऋणदाताओं को अपनी वेबसाइट पर उन उधारकर्ताओं की जानकारी साझा करनी होगी, जिनकी संपत्ति को सुरक्षा हित का प्रवर्तन (SARFAESI) अधिनियम के तहत कब्जे में ली गई है. इसके लिए बैंकों को छह महीने का वक्त दिया गया है. इस जानकारी से उन संभावित खरीदारों को मदद मिलेगी, जो उधारदाताओं की ओर से नीलामी के लिए रखी गई संपत्तियों को खरीदते हैं. इससे उन्हें ऑनलाइन सत्यापन में आसानी होगी. हालांकि आरबीआई के इस कदम से बैंकरों को डिटेल अपलोड करने में मशक्कत का सामना करना पड़ेगा.
ऋणदाताओं को पूरा विस्तृत विवरण देना होगा, इसमें शाखा का नाम, राज्य, उधारकर्ता का नाम और पंजीकृत पता, गारंटर का नाम, बकाया राशि, संपत्ति वर्गीकरण, संपत्ति वर्गीकरण की तारीख, समेत अन्य डिटेल्स अपलोड करनी होगी. बैंकरों का कहना है कि आरबीआई की ओर से निर्धारित छह महीने की समय सीमा में इसे पूरा करना एक कठिन काम हो सकता है.
क्या है SARFAESI अधिनियम?
SARFAESI अधिनियम एक ऐसा कानून है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों को खराब ऋणों को प्रभावी ढंग से वसूलने की अनुमति देता है. बैंक संपत्ति को अपने कब्जे में लेकर और बकाया वसूलने के लिए इसे बेच सकता है.
आरबीआई की अधिसूचना के मुताबिक जानकारी को एक तय प्रारूप में वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी. पहली सूची इस सुर्कलर की तारीख से छह महीने के भीतर आरई की वेबसाइट पर प्रदर्शित की जाएगी. इस सूची को मासिक आधार पर अपडेट किया जाएगा. बता दें हाल ही में बैंकिंग रेगुलेटर ने विलफुल डिफॉल्टर्स पर मास्टर डायरेक्शन भी जारी किया है. आरबीआई किसी खाते को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) घोषित किए जाने के छह महीने के भीतर बैंक से समीक्षा करने को कहा है. साथ ही कहा कि इरादतन चूक तब मानी जाएगी जब उधारकर्ता ने पैसे ले लिए हों, उसके पास चुकाने का साधन हो लेकिन फिर भी उसने ऋण नहीं चुकाया हो.