हर किसी के मन में ये सवाल जरूर आता है कि अगर हम कोई प्रॉपर्टी बेचें तो उस पर कितना टैक्स लगेगा. इसका जवाब ये है कि अगर आप प्रॉपर्टी की बिक्री करते हैं तो उस पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.
कैपिटल गेन्स टैक्स दो तरह के होते हैं. शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) और लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स-टैक्स (LTCG). अगर आपने 2 साल के अंदर प्रॉपर्टी बेची है तो उस पर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है. लेकिन, अगर आप 24 महीने के बाद होल्ड प्रॉपर्टी बेचते हैं तो उस पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है.
कितना टैक्स लगता है?
शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स आपके टैक्स के ब्रैकेट मुताबिक, 20% या 30% लगेगा. जबकि लॉन्ग-टर्म में कैपिटल गेन्स (LTCG) टैक्स 20% फीसदी लगता है लेकिन उसमें भी कुछ छूट मिल जाती है. शॉर्ट-टर्म में आपको इंडेक्सेशन का कोई फायदा नहीं मिलता है.
इसका मतलब ये है कि आपको मंहगाई का कोई लाभ नहीं मिलेगा. प्रॉपर्टी जितनी पुरानी होगी ये टैक्स उतना कम होता जाएगा इसमें इंडेक्सेशन का फायदा मिलता है. यानी लॉन्ग-टर्म केपिटल गेन टैक्स में इसका फायदा मिलता है.
रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी में कैसे मिलता है फायदा?
जैसे पहले हमने बताया की शॉर्ट-टर्म में यानी 2 साल के अंदर कोई प्रॉपर्टी बेची हो तो टैक्स का कोई भी बेनेफिट नहीं मिलता है. लॉन्ग-टर्म केपिटल गेन टैक्स का फायदा इंडीविजुअल या HUF (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) उठा सकते हैं.
इनकम टैक्स की धारा 54 के तहत सिर्फ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने पर ही टैक्स का फायदा मिलेगा. दूसरा ये कि आप जो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी बेचने जा रहे हैं वो एक कंस्ट्रक्टेड प्रॉपर्टी होनी चाहिए. कोइ प्लॉट नहीं होना चाहिए.
इसमें 24 महिने का होल्डिंग पीरियड होना चाहिए. अब आपको कौन सी प्रॉपर्टी खरीदनी है उसकी बात करते हैं तो आप बेची हुई प्रोपर्टी से नई प्रोपर्टी भी खरीद सकते हैं और कंस्ट्रक्शन भी कर सकते हैं.
लेकिन, इसमें टाइम लिमिट का ध्यान रखना है यानी आपको जो प्रोपर्टी खरीदनी है वो जब आपने पुरानी प्रॉपर्टी बेची उसके एक साल पहले कोई प्रॉपर्टी खरीदी हो या उसके बेचने के 2 साल बाद आपने कोई प्रोपर्टी खरीदी हो तो ही टैक्स लाभ मिलेगा.
इसके अलावा आप कोई नई प्रॉपर्टी बना रहे हैं तो आने वाले 3 वर्षों में वो प्रॉपर्टी कंस्ट्रक्ट हो जाती है तो आपको टैक्स छूट मिल जाएगी.
सेक्शन 54 के तहत आपको सिर्फ कैपिटल गेन्स का अमाउंट इनवेस्ट करना है क्योंकि उस रकम का ही टैक्स लाभ आपको मिलेगा. अधिक्तम आप 2 करोड़ रुपये का कैपिटल गेन टैक्स क्लेम कर सकते हैं और इसका लाभ पूरे जीवनकाल में सिर्फ एक बार ही मिलेगा.
अब अगर आपने जो नई प्रॉपर्टी खरीदी है उसको 3 साल के अंदर बेच दिया तो टैक्स छूट वापस ले ली जाएगी. यानी शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. दूसरा ये कि प्रोपर्टी बेच के जो पैसा आपको मिला है उस पर टैक्स बेनिफिट चाहते हो आपको ये पैसा कैपिटल गेन अकाउंट स्कीम में रखना होता है. ये एक प्रकार का खास अकाउंट है जो बैंक में होता है. अगर सेविंग्स बैंक अकाउंट में रखते है तो कैपिटल गेन टैक्स का लाभ नहीं मिलेगा.
सेक्शन 54 ईसी के तहत बॉन्ड में निवेश
आप अपने प्रॉपर्टी के कैपिटल गेन को कैपिटल गेन्स बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. इनमें कम से कम 20,000 रुपये का निवेश जरूरी है. एक वित्त वर्ष में 50 लाख से ज्यादा निवेश नहीं किया जा सकता है.
निवेशक REC और NHAI के कैपिटल गेन्स बॉन्ड्स में निवेश कर सकते हैं. इन बॉन्ड्स में किया गया निवेश कैपिटल गेन्स टैक्स के दायरे में नहीं आता. बॉन्ड पर सालाना 5.50 से 6 फीसदी ब्याज मिलता है.
कैपिटल गेन होने के 6 महीने के भीतर इनमें निवेश किया जा सकता है. इन बॉन्ड्स में 5 साल का लॉक इन पीरियड रहता है.
सेक्शन 54 एफ
इस सेक्शन के तहत रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के अलावा बाकी के कैपिटल एसेट्स जैसे कमर्शियल प्रॉपर्टी, प्लॉट कवर होते हैं. अगर आप टैक्सपेयर हैं और आपको टैक्स छूट चाहिए तो आपके पास एक से ज्यादा प्रॉपर्टी नहीं होनी चाहिए.
इसके अलावा, आपको सिर्फ रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी ही खरीदनी पड़ेगी. प्लॉट खरीदने पर कोइ छूट नहीं मिलेगी. यहां आपको एक बात ध्यान रखनी है कि आपने जितने में प्रॉपर्टी बेची है वो सारी रकम इनवेस्ट करनी होगी.
मान लीजिए की आपने 50 लाख की प्रॉपर्टी बेची है तो उतनी ही रकम इनवेस्ट करनी होगी फिर भले ही आपका कैपिटल गेन 25 लाख रुपये क्यों न हो. लेकिन, मान लीजिए कि आप कैपिटल गेन जितनी रकम यानी 25 लाख रुपये इनवेस्ट करते हैं तो टैक्स छूट 12.50 लाख रुपये की ही मिलेगी.
प्रॉपर्टी बेचने पर घाटा हुआ
अगर आपको प्रॉपर्टी बेचने पर घाटा हुआ है और सोना बेचकर मुनाफा तो इसके लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स को भी आप एडजस्ट कर सकते हैं. पर याद रखें कि लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के घाटे को लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के मुनाफे के साथ ही एडजस्ट कर सकते हैं. आप शेयरों की बिक्री के घाटे को इसके साथ सिर्फ एक साल की अवधि में ही एडजस्ट कर पाएंगे.
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