टैक्स चोरी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के सरकार के प्रयास के तहत अब विदेशों में छिपी हुई रियल एस्टेट संपत्तियां जांच के दायरे में आ सकती है. पिछले दशक में विदेशी स्वामित्व वाली रियल एस्टेट संपत्तियों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है. बहुत से लोगों ने टैक्स बचाने के लिए अपने काफी फंड को विदेशों में प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ट्रांसफर किए हैं. इसी पर लगाम लगाने के लिए जी20 शिखर सम्मेलन से पहले पेरिस स्थित आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने विभिन्न देशों के बीच सूचनाओं के आदान प्रदान का सुझाव दिया है.
ओईसीडी ने ‘रियल एस्टेट पर अंतरराष्ट्रीय कर पारदर्शिता बढ़ाना’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा कि इसके लिए डिजिटल स्वामित्व रजिस्टर बनाना चाहिए जिसमें ऐसे लोगों की डिटेल हो और जिसे सरकारी एजेंसियों को सीधे उपलब्ध कराया जा सके. ओईसीडी ने कहा कि कर प्रशासन के पास अक्सर विदेशों में मौजूद संपत्ति और उससे होने वाली आय की सटीक जानकारी नहीं होती है. ऐसे में टैक्स की सही वसूली नहीं हो पाती है. इसी समस्या को सुलझाने के लिए इच्छुक देश सूचनाओं को शेयर कर सकते हैं.
इस बारे में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FTF) ने भी कुछ आंकड़े जुटाए हैं जिसके तहत वैश्विक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग वॉचडॉग के 32 सदस्यों में से 69% ने रियल एस्टेट क्षेत्र को मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम माना है .बहुत से लोग अपनी संपत्ति की पूरी डिटेल साझा नहीं करते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए एफटीएफ ने भी सरकार और कर अधिकारियों के साथ जानकारी साझा करने की वकालत की थी.