रियल एस्टेट में प्रोजेक्ट्स अटकना कोई नहीं बात नहीं हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे ज्यादा प्रोजेक्ट्स किस शहर में फंसे हैं. देश में कुल 1.18 लाख करोड़ रुपये की कीमत के 1.65 लाख फ्लैट अटके पड़े हैं. इन रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं में से पैंतीस फीसद उत्तर प्रदेश के नोएडा और ग्रेटर नोएडा में हैं. इसके अलावा, कम से कम एक लाख लोग हैं जो अभी भी अपने फ्लैटों के पंजीकरण का इंतजार कर रहे हैं. वहीं लगभग 60,000 अन्य लोगों को उनके कब्जे की तारीख के काफी समय बाद भी फ्लैट नहीं सौंपे गए हैं. नागरिक मंच नोएडा डायलॉग और निजी निकाय नमो सेवा की तरफ से जारी श्वेत पत्र में यह जानकारी दी गई है.
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने रविवार को ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एक कार्यक्रम में ‘गौतम बौद्ध नगर (उत्तर प्रदेश) में घर खरीदने वालों के मुद्दों पर श्वेत पत्र’ का अनावरण किया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि श्वेत पत्र में सुझाए गए अनुसार केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार दोनों की ओर से कार्रवाई की जाएगी.
2011 से गौतम बौद्ध नगर जिले में 850 से अधिक आवासीय परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया है, जिनमें से लगभग 90 फीसद परियोजनाएं नोएडा प्राधिकरण, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे विकास प्राधिकरण (यूपी रेरा वार्षिक रिपोर्ट, 2020) के दायरे में आती हैं. श्वेत पत्र में कहा गया है कि संपत्ति सलाहकार एनारॉक ने रुकी हुई परियोजनाओं के मामले में नोएडा को सबसे खराब शहर के रूप में दर्जा दिया है. देश में रुकी हुई आवासीय परियोजनाओं में से 35 फीसद नोएडा-ग्रेटर नोएडा क्षेत्र से हैं.
इन रुकी हुई परियोजनाओं में 50 फीसद परियोजनाएं तीन साल से अधिक समय तक रुकी रही. यूपी रेरा पोर्टल पर घर खरीदारों की 27,992 शिकायतें दर्ज की गई हैं, जो 2020 तक देश में सबसे अधिक है.’ इसमें कहा गया है, “इन खरीदारों के कंधों पर दोहरा वित्तीय बोझ है, वे अपने अधूरे फ्लैटों के लिए ईएमआई का भुगतान करना जारी रखते हैं और अपने घरों का भारी किराया वहन करते हैं जहां वे इस समय रहते हैं.”
Published - November 27, 2023, 06:34 IST
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।