दिल्ली-NCR के नोएडा एक्सटेंशन यानी ग्रेटर नोएडा वेस्ट इलाके में ऐसे घर खरीदारों की संख्या हजारों में है, जिन्हें अब तक फ्लैट नहीं मिला है. अगर फ्लैट मिल गया है तो मालिकाना हक नहीं मिला है. इसके अलावा, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद के वसुंधरा, वैशाली समेत दूसरे इलाकों में भी तमाम ऐसे घर खरीदार मौजूद हैं जिन्हें घर तो मिल गया लेकिन मालिकाना हक नहीं मिला. आखिर इसका क्या मतलब है, समझाते हैं इस रिपोर्ट में.
रजिस्ट्री कराए बिना रेजिडेंट्स यानी घर के मालिक को मालिकाना हक नहीं मिलता है. पूरी कीमत देने के बावजूद वे उस फ्लैट पर दावा नहीं जता सकते हैं. अगर किसी मामले में कोई हादसा हो जाता है तो वे मुआवजे या किसी सरकारी मदद के भी हकदार नहीं होंगे. मालिकाना हक न मिलने के अलावा, घर खरीदारों को और क्या दिक्कत हो रही है इसे हम समझेंगे दो असल वाकये यानी केस हिस्ट्री से.
केस हिस्ट्री-1 फ्लैट बेचने वाला व्यक्ति
अमित कुमार (बदला हुआ नाम) ने साल 2010 में फ्लैट बुक किया था. तमाम कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद साल 2022 की शुरुआत में फ्लैट की डिलिवरी मिल पाई. रजिस्ट्री अभी नहीं हुई. पैसों की जरूरत की वजह से फ्लैट बेचना चाहता हूं, तो ठीक दाम नहीं मिल रहे हैं. मेरे 3BHK फ्लैट के मुझे 35 लाख रुपए मिल रहे हैं जबकि इसी साइज के रजिस्ट्री वाले पुराने फ्लैट 40 से 42 लाख रुपए में बिक रहे हैं. बहुत ढूंढे से तो खरीदार मिलते हैं, क्योंकि रजिस्ट्री न होने की वजह से बैंक फाइनेंस नहीं करते हैं. इस वजह से ऐसी प्रॉपर्टी में जल्दी कोई हाथ नहीं डालता है.
केस हिस्ट्री-2 बिना रजिस्ट्री का फ्लैट खरीदने वाला
राजीव रंजन (बदला हुआ नाम) ने साल 2021 में रीसेल में एक फ्लैट खरीदा, जो ट्रांसफर केस था. यानी इसकी रजिस्ट्री नहीं थी. बिल्डर ने जिस व्यक्ति को फ्लैट का पजेशन दिया. उसने मुझे फ्लैट बेच दिया. रजिस्ट्री नहीं होने की वजह से यह फ्लैट मुझे 2 से 2.5 लाख रुपए सस्ता पड़ा. कोई सरकारी या प्राइवेट बैंक फाइनेंस करने को तैयार नहीं था. इसलिए मुझे NBFC से लोन लेना पड़ा, जिसका इंटरेस्ट रेट बैंक के मुकाबले काफी ज्यादा था. दूसरी दिक्कत यह है कि रजिस्ट्री नहीं होने की वजह से मेरे होम लोन पर फुल EMI की जगह Pre-EMI कटती है. इसका नुकसान यह है कि मैं करीब डेढ़ साल से कर्ज की रकम पर सिर्फ ब्याज भर रहा हूं. लोन का प्रिंसिपल अमाउंट जस का तस बना हुआ है. अब कोई और बैंक, होम लोन ट्रांसफर के लिए तैयार नहीं है. सस्ता देखकर फ्लैट तो ले लिया, लेकिन अब ब्याज के तौर पर ज्यादा रकम भरनी पड़ रही है.
हजारों लोगों को हो रही ये परेशानी
देखा जाए तो अमित कुमार और राजीव रंजन रजिस्ट्री नहीं होने से घर खरीद कर Basically फंस गए हैं. अमित घर बेच नहीं पा रहे हैं. राजीव रंजन को महंगा कर्ज और Pre-EMI परेशान कर रही है. ये दर्द किसी एक या दो घर खरीदार का नहीं है बल्कि सैकड़ों, हजारों का है. आइए डालते हैं इस पर एक नजर.
1 लाख घर खरीदारों को नहीं मिला पजेशन
New Era Flat Owners Welfare Association (नेफोवा- NEFOWA) के वाइस प्रेसिडेंट दीपांकर कुमार बताते हैं कि सिर्फ नोएडा एक्सटेंशन में छोटे-बड़े प्रोजेक्ट मिलाकर एक लाख घर खरीदारों को पजेशन नहीं मिला है. इसमें आम्रपाली, जेपी और यूनिटेक के होम बायर्स शामिल नहीं हैं. 50 हजार से ज्यादा होम बॉयर्स ऐसे हैं, जिनके घरों की रजिस्ट्री नहीं हुई है. रजिस्ट्री नहीं होने की मुख्य वजह बिल्डरों का लैंड ड्यूज नहीं चुकाना है, जिस वजह से अथॉरिटी रजिस्ट्री नहीं कर रही है.
घर खरीदने में ना करें ये गलती
घर खरीदना सिर्फ इमोशनल नहीं बल्कि एक बड़ा फाइनेंशियल डिसिजन भी है इसलिए अगर कोई ब्रोकर या करीबी जानकार आपको बिना रजिस्ट्री वाला फ्लैट लेने की सलाह दे तो जाग जाइएगा.. नहीं तो फंस जाइएगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में बिल्डरों के लैंड ड्यूज को लेकर एक अहम फैसला सुनाया था. कोर्ट ने लैंड ड्यूज के बकाये पर 8 फीसदी ब्याज की कैपिंग को वापस ले लिया था. इस फैसले के बाद अथॉरिटीज का मानना है कि घरों की रजिस्ट्री में तेजी आएगी. सरकार को इस मामले पर गौर करना चाहिए ताकि घर खरीदारों को मालिकाना हक जल्द मिल सके.
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