बिल्डर घर बेचते वक्त घर खरीदारों से बड़े-बड़े वादे करते हैं. ज्यादातर खरीदार उनकी बात पर आंख बंद करके भरोसा कर लेते हैं और फंस जाते हैं. जरूरी नहीं है कि सब बिल्डर एक जैसे हों, लेकिन आपका बिल्डर सही है इसका पता लगाना जरूरी है, वरना आपकी सारी गाढ़ी कमाई दांव पर लग सकती है.
घर खरीदना जीवन के सबसे बड़े फैसलों में से एक है. ऐसे में बिना जांच-पड़ताल किए सिर्फ बिल्डर की बातों में आकर घर खरीदना बड़ी मुसीबत बन सकता है.
देश में अटके घरों का आंकड़ा
प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक के मुताबिक, देश के टॉप 7 शहरों में मई 2022 के अंत तक करीब 4.80 लाख मकान फंसे हुए हैं. इनकी कीमत 4.48 लाख करोड़ रुपए है. NCR में अटके या देरी से चल रहे ऐसे घरों की संख्या 2 लाख 40 हजार से ज्यादा हैं जबकि मुंबई महानगर क्षेत्र में यह आंकड़ा 1 लाख 28 हजार है. इसमें दिल्ली-NCR, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणे में 2014 या उससे पहले शुरू की गई परियोजनाएं शामिल हैं. NCR में हालत और बुरी है. अकेले नोएडा और ग्रेटर नोएडा में अटके मकानों की संख्या 1 लाख 65 हजार 348 है. जबकि गुरुग्राम में 30,733, गाजियाबाद में 22,128 मकान फंसे हुए हैं. अपने बिल्डर के बारे में ऐसे पता करें…
बिल्डर का ट्रैक रिकॉर्ड चेक करें
आप जिस प्रोजेक्ट में घर, जमीन या कमर्शियल प्रॉपर्टी खरीद रहे हैं. सबसे पहले उस जगह पर जाकर मौका-मुआयना करें. कंस्ट्रक्शन की क्वालिटी चेक कर लें. इसके अलावा, बिल्डर के पुराने प्रोजेक्ट की पड़ताल करें. बिल्डर ने पुराने प्रोजेक्ट में डिलिवरी टाइम पर की है या नहीं. जो वादे किए थे. उसे पूरा किया है या नहीं. इसके लिए आप वहां रह रहे लोगों से बात करके रियल टाइम फीडबैक ले सकते हैं.
प्रोजेक्ट को बैंक लोन दे रहे हैं या नहीं?
आमतौर पर, बड़े बैंक ऐसी प्रॉपर्टी पर होम लोन देने से बचते हैं. जिस पर विवाद हो. किसी प्रोजेक्ट को फाइनेंस करने से पहले बैंक काफी जांच-पड़ताल करते हैं. सभी जरूरी मंजूरियों के साथ बैंक बिल्डर का प्रोफाइल भी खंगालते हैं. अगर प्रोजेक्ट बैंक की ओर से होम लोन के लिए अप्रूव है तो आप उसमें घर खरीद सकते हैं. मान लीजिए प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी होती है या कोई कानूनी विवाद खड़ा होने पर बैंक पहले से स्वीकृत प्रोजेक्ट के लिए नए खरीदारों को लोन देने से मना कर देते हैं.
RERA समेत अन्य मंजूरियां परखें
बिल्डर सही है तो उसे आपको जरूरी मंजूरियां दिखाने में कोई दिक्कत नहीं होगी. अगर बिल्डर रेरा रजिस्ट्रेशन, कम्प्लीशन सर्टिफिकेट, ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट समेत अन्य मूंजरिया दिखाने में आनाकानी करें तो यह खतरे की घंटी है. ऐसे प्रोजेक्ट में घर खरीदने से बचें. इसके अलावा, प्रॉपर्टी का टाइटल, बिल्डिंग प्लान, लैंड यूज में बदलाव, जमीन का बकाया जैसी चीजों की जांच कर लेनी चाहिए. इसके अलावा, जमीन पर किसी तरह का कानूनी मुकदमा या लोन न हो.
समय पर घर की डिलिवरी नहीं मिलना सबसे बड़ी समस्या है. ऐसे में एग्रीमेंट टू सेल में पेमेंट और निर्माण में देरी पर हर्जाने से जुड़ी सभी शर्तें अच्छी तरह से चेक करें. सुनिश्चित करें कि ब्राउशर में जो सुविधाएं देने का वादा किया जा रहा है. उनका उल्लेख एग्रीमेंट में जरूर हो. ताकि अगर बिल्डर किसी तरह की गड़बड़ी करें तो आप कानूनी कार्रवाई कर सकें. एग्रीमेंट की जिन शर्तों से आप संतुष्ट न हो. उन्हें हटाने के लिए बिल्डर से बात करें.
अगर आप भी घर खरीदने की तैयारी में हैं, तो बिल्डर के बारे में थोड़ा होमवर्क कर लें. उसके दावे में कितनी सच्चाई है इसे परख लें. थोड़ी-सी सावधानी आपकी जिंदगी भर की पूंजी बचा सकती है. कोर्ट-कचहरी के झंझट से बचा सकती है.
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