कोविड-19 की पहली लहर ने रियल एस्टेट सेक्टर पर तगड़ा असर डाला. अर्थव्यवस्था अभी मुश्किल के दौर से निकलने की कोशिश ही कर रही थी कि तब तक कोविड की दूसरी लहर ने तबाही पैदा कर दी. लेकिन, इस दफा रियल्टी डिवेलपर्स इससे निपटने के लिए कहीं बेहतर तरीके से तैयार हैं. इस बार हालात से निपटने के लिए ज्यादा तैयार है सेक्टर फरांडे स्पेसेज के अनिल फरांडे कहते हैं, "पहले लॉकडाउन के दौरान संक्रमित होने का डर और मजदूरों के अपने घरों की ओर पलायन करने से मुश्किल हालात पैदा हो गए थे. कंस्ट्रक्शन वर्कर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, भारत की 70 फीसदी माइग्रेंट आबादी 2020 में अपने गृह जिलों में वापस चली गई थी. रियल एस्टेट सेक्टर को इसका अंदाजा नहीं था." एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड की दूसरी लहर में हालात हालांकि, काफी खराब हैं, लेकिन कंस्ट्रक्शन साइट्स पर स्थितियां 2020 जैसी बुरी नहीं है. राज्यों और केंद्र सरकार के कदमों से मिल रही मदद फरांडे कहते हैं, "इस वक्त पहले जैसा लॉकडाउन हर जगह नहीं है." गुजरे साल केंद्र सरकार के लागू किए गए सख्त लॉकडाउन के दौरान कई राज्य सरकारों ने लोगों को घर खरीदने के लिए उत्साहित करने के लिए स्टैंप ड्यूटी में कटौती की थी. इंस्पेक्टर जनरल ऑफ रजिस्ट्रेशन के मुताबिक, मुंबई में ही अकेले 80,718 प्रॉपर्टीज के रजिस्ट्रेशन हुए. इसमें सितंबर 2020 से मार्च 2021 के दौरान 114 फीसदी का इजाफा हुआ है. हाउसिंग.कॉम के ग्रुप COO मणि रंगराजन के मुताबिक, "जनवरी से मार्च के दौरान देश के टॉप 8 शहरों में घरों की बिक्री 66,176 यूनिट्स रही है, एक साल पहले के मुकाबले यह मामूली कम है. उस दौरान 69,555 घरों की बिक्री हुई थी." होम लोन बढ़ रहे इसके साथ ही बैंकों के होम लोन पोर्टफोलियो में इस साल 9.1 फीसदी का इजाफा हुआ है. 26 मार्च तक घरों के लोन 14.59 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गए हैं. बैंकों के ऑफर किए जा रहे कम इंटरेस्ट रेट और वर्क फ्रॉम होम के कल्चर में इजाफा होने से भी रियल एस्टेट सेक्टर में ग्रोथ आ रही है. रंगराजन कहते हैं, "राज्यों के स्टैंप ड्यूटी में कटौती करने, केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के उठाए गए कदमों और डिमांड बढ़ने से घरों की बिक्री में तेजी आ रही है." मौजूदा दौर में भी क्या कंज्यूमर्स घर खरीदने की सोच रहे हैं? रंगराजन कहते हैं कि दूसरे एसेट क्लासेज में जोखिम को देखते हुए और सेफ हाउसिंग की जरूरत में इजाफे के साथ घर खरीदने की जरूरत बढ़ी है. महामारी के दौर में इस ट्रेंड में तेजी आ रही है. ऐसे में घरों की बिक्री में इजाफा होगा. दूसरी ओर, दूसरी लहर के कमजोर पड़ने के साथ ही आर्थिक स्थिरता भी आ रही है. एक एसेट के तौर पर प्रॉपर्टीज खरीदने के लिए कंज्यूमर्स में बढ़ती दिलचस्पी से भी अप्रैल से जून क्वॉर्टर में घरों की बिक्री में इजाफा होने के आसार हैं. रंगराजन के मुताबिक, पिछली दफा के मुकाबले इस बार लॉकडाउन भी स्थानीय स्तर पर लगाया गया है, ऐसे में रियल्टी मार्केट में फिर से उछाल आने की उम्मीद है. वे कहते हैं कि भारत में हाउसिंग मार्केट के लिहाज से जुलाई एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है.