आर्थिक संकट में फसी रियल्ट एस्टेट कंपनी सुपरटेक की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. कंपनी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए समूह के चेयरमैन आरके अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया. ईडी की ओर से पिछले तीन दिनों से उन्हें लगातार पूछताछ के लिए बुलाया जा रहा था. मंगलवार को भी उन्हें पूछताछ के लिए ही बुलाया गया था. इसके बाद देर शाम में मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सुपरटेक समूह और इसके निदेशकों के खिलाफ दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में धोखाधड़ी से जुड़े कई मामले दर्ज हैं. इनसे जुड़े मामलों में केंद्रीय एजेंसी ईडी ने समूह के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की थी जिसमें कई बड़े खुलासे हुए हैं. अरोड़ा बिल्डरों के संगठन नेरेडको के चेयरमैन भी हैं.
क्या किया घपला? सभी एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि कंपनी और उसके निदेशक अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैटों के खिलाफ संभावित खरीदारों से अग्रिम रूप से धन एकत्र करके लोगों को धोखा देने की आपराधिक साजिश में शामिल हैं. खरीदारों को समय पर फ्लैटों का कब्जा नहीं दिया गया है. घर खरीदारों के पैसों का गलत रूप से इस्तेमाल किया गया है. साथ ही इन प्रोजेक्टों के निर्माण के लिए बैंकों से बड़े कर्ज लिए गए. आरोप है इन फंडों का गबन किया गया और समूह की अन्य कंपनियों के नाम पर भूमि की खरीद के लिए डायवर्ट किया गया जिन्हें फिर से बैंकों से धन उधार लेने के लिए संपत्ति को गिरवी रखा गया था.
पहले हो चुकी है कार्रवाई ईडी को जांच में पता चला है कि सुपरटेक समूह ने बैंकों व वित्तीय संस्थानों को अपने भुगतान में भी चूक की. वर्तमान में लगभग 1,500 करोड़ के ऐसे लोन एनपीए बन गए हैं. इन मामलों में चल रही जांच में 12 अप्रैल को भी ईडी ने सुपरटेक और उसके निदेशकों की 40 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत कुर्क किया था जिसमें उत्तराखंड के रुद्रपुर में स्थित 25 अचल संपत्तियों और उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में मेरठ मॉल को कुर्क किया गया था। इन कुर्क की गई संपत्तियों कीमत 40 करोड़ रुपए से ज्यादा की आंकी गई थी. कुल मिलाकर आरके अरोड़ा की गिरफ्तारी के बाद सुपरटेक समूह की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
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