दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़ने और हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ स्तर पर पहुंचने पर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRP) लागू किया है. जिसके तहत दिल्ली-एनसीआर में सभी गैर-जरूरी निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मगर आयोग के इस फैसले ने डेवलपर्स की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि निर्माण कार्य ठप रहने से प्रोजेक्ट समय पर पूरे नहीं होंगे. नतीजतन उन्हें डिलीवरी देने में देरी होगी. इससे बिल्डरों के साथ घर खरीदने वालों को भी नुकसान होगा. डेवलपर्स का कहना है अधिकारियों को वायु प्रदूषण नियमों को लागू करते समय मामले-दर-मामले दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और वाहनों के उत्सर्जन और सड़क के किनारे की धूल को नियंत्रित करना चाहिए.
आयोग की ओर से लागू किए गए GRAP एक्शन प्रदूषण प्लान चार चरणों पर निर्भर करती है: चरण I – ‘खराब’ (AQI 201-300); स्टेज II – ‘बहुत खराब’ (AQI 301-400); स्टेज III – ‘गंभीर’ (AQI 401-450); और स्टेज IV – ‘गंभीर प्लस’ (AQI 450 से ऊपर). 2 नवंबर, 2023 को शाम 5 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 402 था. ऐसे में दिल्ली में चरण III लागू किया गया है. इसके तहत गैर जरूरी निर्माण पर रोक लगाई गई है. इसके अलावा दिल्ली के बाहर पंजीकृत डीजल हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी), ट्रकों और मध्यम और भारी माल वाहनों (आवश्यक सेवाओं के प्रावधान में शामिल लोगों को छोड़कर) के प्रवेश पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है.
रियल एस्टेट पर पडे़गा असर
कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई)-नेशनल के अध्यक्ष, मनोज गौड़ का कहना कि रियल एस्टेट क्षेत्र बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों का पूरा समर्थन करता है, लेकिन इसमें कुछ आपत्तियां भी हैं. उन्होंने कहा कि एक महीने के कंस्ट्रक्शन बैन से परियोजना पूरी होने में कम से कम दो से तीन महीने की देरी होगी. रियल एस्टेट सेक्टर इस कदम से चिंतित है क्योंकि प्रोजेक्ट कॉस्ट में वृद्धि हो सकती है.
काउंटी ग्रुप के डायरेक्टर अमित मोदी ने कहा, GRAP-III लागू होने के बाद कंस्ट्रक्शन पर बुरा असर पड़ता है.पहले से ही देरी से चल रही रेजिडेंस प्रोजेक्ट्स में और देरी होगी. CAQM को ग्रैप 3 के अन्तर्गत निर्माण कार्यों को लेकर रियायत देनी चाहिए.
मिगसन के मैनेजिंग डायरेक्टर यश मिगलानी ने कहा, हम पहले से ही अपनी कंस्ट्रक्शन गतिविधियों से प्रदूषण को कम करने के संभावित तरीकों का पालन कर रहे हैं, जिसमें एंटी स्मोक गन्स, छिड़काव तंत्र, ग्रीन नेट्स शामिल हैं. सरकार की ओर से जारी किए गए ऐसे आदेशों से न केवल मजदूरों की दैनिक मजदूरी पर असर पड़ेगा, बल्कि प्रोजेक्ट्स की समय सीमा भी पटरी से उतर सकती है और देरी हो सकती है.
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