दिल्ली में प्राइवेट नौकरी कर रहे मनीष लंबे समय से किराए के घर में रह रहे हैं. उनका सपना है कि उनका भी दिल्ली में खुद का घर हो जाए. अभी दो दिन पहले ही उन्हें पता चला कि दिल्ली डिवलपमेंट अथाॉरिटी 5500 फ्लैट की बिक्री करने जा रही है और इसके लिए 30 जून से शुरू भी शुरु हो चुका है . इसमें HIG, MIG, LIG और EWS श्रेणी के फ्लैट्स हैं जो रोहिणी, सिरसपुर, नरेला और लोकनायक पुरम में बने हैं. वो अपने ऑफिस में बैठे इसके बारे में और जानने के लिए ऑनलाइन सर्च करने लगे और एक वेबसाइट पर पहुंचे जहां इन फ्लैट के रजिस्ट्रेशन के लिए पेमेंट करने के लिए कहा जा रहा था. वेबसाइट देखने में लग तो बिल्कुल DDA की ऑफिशियल वेबसाइट की तरह थी. इसमें कहा जा रहा था कि आपका सपनों का घर आपसे सिर्फ़ एक क्लिक दूर है और ये पहले आओ पहले पाओ के आधार पर मिलेगा. मनीष को लगा पेमेंट करने में देर की तो कहीं उनका घर का सपना कहीं सपना ही न रह जाए.उन्होंने यहां रजिस्ट्रेशन के लिए ज़रूरी डिटेल भरी वो पेमेंट करने की ओर बढ़ ही रहे थे कि पीछे से उनके साथी विजय आ गए. विजय ने पूछ लिया कि क्या कर रहे हो. मनीष ने पेमेंट को थोड़ा टालकर कहा कि बस DDA की साइट पर फ्लैट की बुकिंग कर रहा हूं तो विजय ने अचानक स्क्रीन की ओर देखा और उन्हें तुरंत सावधान कर दिया. विजय ने देखा कि जो यूआरएल उनके ब्राउज़र पर खुला था वो www.dda.gov.in नहीं था. वो eservices.dda.org.in था.
विजय ने तुंरत कहा भाई रुको ये फर्जी यूआरएल है. विजय ने उन्हें बताया कि DDA flats के नाम के आस पास ऐसी कई वेबसाइट हैं जो बिल्कुल DDA की जैसी वेबसाइट की तरह दिखती है. ये वेबसाइट वाले लोग फ्लैट खरीदारोंके इच्छुक लोगों से पेमेंट लेकर ठगी करते हैं. विजय ने उन्हें रोहिणी में रहने वाले ऐसे ही एक शख्स की कहानी बताई जो गूगल पर डीडीए फ्लैट्स की जानकारी ढूंढ रहे थे. और उनकी ये सर्च उन्हें एक ऐसी वेबसाइट पर ले गई जिस पर DDA फ्लैट की बुकिंग ओपन थी. बिल्कुल वैसे ही जैसे उनके लैपटॉप पर खुली है. इसमें पहले आओ, पहले पाओ के लिए 75 हजार की एप्लीकेशन फीस और 25 हजार रुपए NOC के लिए जमा करने के लिए बोला जा रहा था. उन्होंने इस वेबसाइट पर पर्सनल डिटेल्स के साथ फोटो अटैच कर दी और पैसे भी जमा कर दिए. फिर इस शख्स के पास अगले दिन एक कॉल आई, फोन करने वाले ने और 4 लाख रुपये जमा करने को कहा और जमा न कराने पर आवेदन खारिज करने की बात कही. इस पर पीड़ित को एहसास हुआ कि उसके साथ ठगी हो रही है और फिर उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस ने व्यक्ति की शिकायत पर मामला दर्ज कर नंबर और बैंक खातों की जांच शुरू की तो पता चला कि गिरोह कोलकाता, मुंबई और बिहार से ऑपरेट कर रहा है. पुलिस ने मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक आरोपी के लैपटॉप पर 20 से ज्यादा फेक वेबसाइट के डोमेन मिले.
विजय ने मनीष ने बताया कि फेक वेबसाइट की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए डीडीए ने भी चेतावनी जारी की और अपने वेबसाइट पर डिस्क्लेमर भी डाल दिया है. DDA की वेबसाइट को खोलते ही ये डिस्क्लेमर सबसे पहले आता है जो फेक वेबसाइट के एड्रेस बताते हुए लोगो को आगाह कर रहा है. मनीष ने जब ये सुना तो उसने तुरंत वो वेबपेज बंद कर दिया और विजय का धन्यवाद किया. विजय ने बाद में DDA की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाकर 1000 रुपए जमा कराकर उनका फ्लैट के लिए रजिस्ट्रेशन करा दिया. अब जब स्कीम में उनका नाम आएगा तो उनको बुकिंग अमाउंट जमा करना होगा. उम्मीद करते हैं मनीष को उनका सपनों का घर मिल जाएगा. लेकिन आपके लिए मनीष के इस प्रकरण से नसीहत है कि Google पर जो कुछ दिखता है, उसे सच नहीं मान लेना चाहिए. जिस साइट पर जा रहे हैं, उसे वेरिफाई करना जरूरी है.कुछ रेड फ्लैग्स हैं जिनका आपको ध्यान रखना चाहिए. जैसे कि अगर आपसे पेमेंट के लिए, डाक्यूमेंट शेयर करने के लिए या फिर किसी पेपरवर्क या रजिसट्रेशन के लिए थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड करने को कहे तो सतर्क हो जाएं. थर्ड पार्टी ऐप के जरिए आपके फाइनेंशियल डिटेल्स हैक हो सकते हैं और आपका बैंक अकाउंट खाली हो जाएगा. अगर पमेंट के लिए जरूरत से ज्यादा दबाब बनाया जाए कि ये स्कीम तो हाथ से निकल जाएगी, डेडलाइन मिस हो जाएगा, आज के आज बुक कीजिए क्योंकि अगले दो घंटे में ऑफर खत्म हो रहा है तो समझ जाइए कि ये सब पैसे ऐेंठने की कला है.
ऐसी ठगी केवल डीडीए के नाम पर ही नहीं हो रही है. पिछले कुछ समय से सरकार की और भी कई स्कीम्स का नाम लेकर भी लोगों को ठगा जा रहा है.कुछ महीने पहले गुजरात सीआईडी क्राइम के साइबर सेल ने 96 फेक वेबसाइट को पुल डाउन किया था जिनमें Stand Up India Scheme सहित कई सरकारी योजनाओं के लाभ दिलाने की बात कही गई थी.ये वेबसाइट लोगों को सरकारी योजनाओं, इंश्योरेंस बेनेफिट, सब्सिडी या वित्तीय मदद के लिए रजिस्टर कराने के लिए कह रही थीं.
फेक बेवसाइट के झांसे में आकर ऐसी किसी फर्जी स्कीम में अगर आपने भी पैसे दे डाले हैं तो समझिए कि अब आगे क्या करें आप. National cybercrime reporting portal – cybercrime.gov.in पर या toll-free national helpline number 1930 पर शिकायत करें. साथ ही आप सोशल मीडिया जैसे कि ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर CyberDost के पेज को फॉलो कर सकते हैं, उनके पेज पर जाकर सीधे कंप्लेन कर सकते हैं, सलाह मांग सकते हैं.वहां ये बताएं कि पैसे कहां गए? मतलब आपने किस बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर किए हैं.पुलिस उस बैंक के नोडल ऑफिसर को फोन कर वो पैसे फ्रीज करा सकती है.अगर आपके कार्ड के जरिए भी पैसे दिए हैं, तो अपना अकाउंट भी फ्रीज करा सकते हैं. ऐसी घटनाओं को रिपोर्ट करने में देरी न करें. क्योंकि जितनी देरी आप करेंगे, आपका पैसा वापस मिलने के चांसेस उतने कम होते चले जाएंगे.
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