सरकार के सोने (Gold) पर कस्टम ड्यूटी 5 फीसदी तक कम करने और 2.5 फीसदी के कृषि सेस से तस्करी पर अंकुश लगने की संभावना नहीं है. उद्योग के अधिकारियों का मानना है कि कस्टम ड्यूटी में कटौती से सोने की कीमतों में कोई कमी नहीं आएगी. क्योंकि, भारतीय बाजार में डिमांड बढ़ रही है, जिसके चलते प्रीमियम को $1.7-$2 प्रति ट्रॉय औंस (लगभग 31.1 ग्राम) पर रखा है.
उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, “कालाबाजारी पनपने के कुछ ठोस कारण हैं.” पहला, कस्टम ड्यूटी और नए सेस जोड़कर 10 फीसदी तक होगी. अगर सोने (Gold) की तस्करी होती है तो यह एक राशि बच सकती है. हालांकि, यह पहले लगने वाली 12.5% कस्टम ड्यूटी से कम है. फिर भी यह काफी है. काले बाजार में काम करने वाले ज्वैलर्स नकद सौदों से 5.5% टैक्स (3% GST और 2.5% सेस) बचा सकते हैं, जो पहले के 3% टैक्स से काफी ज्यादा है. सोने का आयात (Gold Import) करते समय ज्वैलरी एक्सपोर्ट्स सरकार को कुल राशि का 7.5% (सीमा शुल्क के बराबर) देना होगा और एक्सपोर्ट करने के बाद ही इसे क्लेम करते हैं. पहले उन्हें 12.5% जमा करना पड़ता था क्योंकि ड्यूटी ज्यादा थी.
सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत सोना, चांदी, हीरे और अन्य कीमती पत्थरों की खरीद में 10 लाख से ज्यादा के सभी नकद लेन-देन को शामिल किया है. इससे ज्वैलर्स खासतौर पर छोटे ज्वैलर, पहले से ही अवैध मार्गों के जरिए लाए गए सोने का इस्तेमाल करके ज्यादा नकद सौदों की तलाश में हैं. नियम के अनुसार, 2 लाख से ऊपर के हर नकद लेनदेन को Know Your Customer (KYC) के अंदर लाना था, लेकिन सरकारी एजेंसियां इसे लागू करने में थोड़ी ढिलाई बरत रही थीं.
मणप्पुरम ग्रुप के मणप्पुरम ज्वैलर्स लिमिटेड के जनरल मैनेजर-बुलियन Raghu G के मुताबिक, बजट प्रस्तावों से सोने की ज्वैलरी (Gold Jewellery) के एक्सपोर्ट को बढ़ाने में मदद मिलेगी. वहीं, सरकार को भी सेस के जरिए अपना राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि ऑफिशियल चैनल के जरिए इंपोर्ट में भी तेजी देखने को मिलेगी. हल्की गिरावट के बाद सोने की कीमतों में भी तेजी देखने को मिलेगी.
बजट प्रस्तावों के मुताबिक, गोल्ड डोर बार और सिल्वर डोर बार में क्रमशः 11.85% और 11% की मौजूदा दरों के विपरीत 6.9% और 6.1% की कस्टम ड्यूटी लगेगी. हालांकि, इन सभी आइटम पर 2.5% की दर से नया सेस भी लगेगा.
भारत सोने का बड़ा इंपोर्टर है. सालाना करीब 700-900 टन गोल्ड (Gold) को इंपोर्ट करता है. हालांकि, 2020 में आधिकारिक चैनलों के जरिए इंपोर्ट में महामारी की वजह से डिमांड में आई कमी और यूरोप से उड़ानों पर प्रतिबंध के कारण एक बड़ी मंदी देखने को मिली है. थोक सोने के व्यापार पर नज़र रखने वाले वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (WGC) ने 2019 में इंपोर्ट किए गए 690 टन की तुलना में 2020 में भारत में सोने की खपत लगभग 700-800 टन होने का अनुमान लगाया था, जो
मालाबार गोल्ड एंड डायमंड के चेयरमैन Ahammed MP ने एक बयान में कहा गया है कि उच्च आयात शुल्क न केवल अप्रत्यक्ष रूप से अवैध सोने के लेनदेन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि सरकार के राजस्व पर भी असर डाल रहा है. उन्होंने कहा ‘इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से व्यापार करना आसान होगा. इसके अलावा, सरकार को ई-गवर्नेंस प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि सोने के अवैध लेनदेन पर नज़र रखी जा सके.’
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.
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