इजराइल के निर्माण क्षेत्र एवं अन्य उद्योगों में वर्कफोर्स की कमी को पूरा करने के लिए भारतीय श्रमिकों की मांग बढ़ रही है. हाल ही में फिलिस्तीनी श्रमिकों की जगह भारतीय श्रमिकों को रखे जाने की बात सामने आई थी. इसी मसले पर कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सदस्य केसी वेणुगोपाल ने सरकार से कुछ सवाल पूछे थे. इन्हीं का जवाब देते हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि सरकार ने भारतीय श्रमिकों के साथ फिलिस्तीनी मजदूरों के रिप्लेसमेंट को लेकर इजराइल के साथ कोई चर्चा नहीं की है.
बता दें नवंबर में यूएस की एक एजेंसी ने रिपोर्ट जारी कर कहा था कि निर्माण क्षेत्र और उद्योगों के लोगों ने इजरायली सरकार से कंपनियों को भारत से एक लाख तक श्रमिकों को काम पर रखने की अनुमति देने की अपील की थी. यह रिपोर्ट 7 अक्टूबर के हमलों के मद्देनजर इजराइल की ओर से फिलिस्तीनी मजदूरों के कार्य परमिट को रद्द करने के कुछ दिनों बाद आई थी. हमलों से पहले वेस्ट बैंक से लगभग 150,000 फ़िलिस्तीनियों और गाजा पट्टी से 17,000 फ़िलिस्तीनियों के पास काम के लिए कानूनी परमिट थे. बता दें इस हफ्ते वॉर कैबिनेट ने फिलिस्तीनी मजदूरों को वेस्ट बैंक से इजराइल में प्रवेश देने के प्रस्ताव पर सहमति नहीं जताई. इससे इजराइल के निर्माण और कृषि क्षेत्रों में मजदूरों की भारी कमी हो गई है.
इससे पहले मई में जब इजराइल के विदेश मंत्री एली कोहेन ने एस जयशंकर और अन्य भारतीय अधिकारियों के साथ बैठकें करने के लिए भारत का दौरा किया था, तो उन्होंने इजराइल में निर्माण और नर्सिंग के क्षेत्र में 42,000 भारतीय श्रमिकों को भेजने की अनुमति देने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.
Published - December 14, 2023, 05:59 IST
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