भारत में एलपीजी की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है जबकि इसकी घरेलू सप्लाई ठहर गई है. पिछले पांच सालों में घरेलू एलपीजी उत्पादन केवल 4 फीसद बढ़ा है जबकि उपभोग 22 फीसद बढ़ा है. LPG की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आयात का सहारा लिया जा रहा है. भारत के लिक्वीफाइड पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) के आयात में पाँच साल में 60 फीसद की वृद्धि हुई है.
क्यों बढ़ी खपत
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2017-18 में LPG का 11.4 मिलिनय मेट्रिक टन आयात हुआ करता था जो अब 2022-23 में बढ़कर 18.3 मिलियन मेट्रिक टन (एमएमटी) हो गया है. सरकारी योजना के द्वारा गरीब परिवारों को मुफ्त रसोई गैस कनेक्शन देने से घरेलू उपभोग बढ़ा है. एक दशक में रसोई गैस उपभोक्ताओं की संख्या 32 करोड़ से अधिक हो गई है.
कितना हुआ आयात
मूल्य के मामले में, 2022-23 में भारत ने 13.3 अरब डॉलर में एलपीजी का आयात किया था. पाँच साल पहले इसकी लागत 5.8 अरब डॉलर से ऊपर थी. जबकि अंतरराष्ट्रीय एलपीजी की कीमतें पाँच साल में 711.50 डॉलर प्रति मीट्रिक टन बढ़ गई. बढ़ती उपभोग और आयात पर अधिक निर्भरता का मतलब देश की विदेशी मुद्रा रिज़र्व पर बढ़ता बोझ है.
कहां से होता है सप्लाई
भारत का एलपीजी आयात का 95% से अधिक संयुक्त अरब अमीरात, क़तर, सउदी अरब और कुवैत से सप्लाई होता है. जबकि संयुक्त राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के आंकड़ों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका से थोड़ी मात्रा में आयात किया गया था. 2023 में UAE शीर्ष आपूर्तिकर्ता था, जो भारत के कुल एलपीजी आयात का लगभग तिहाई हिस्सा था. 2017 से हर साल UAE से आपूर्ति बढ़ी है.
UAE और क़तर से एलपीजी खरीदारी मुख्य रूप से स्थानिक बाजार में की जाती है जबकि सउदी कार्गो लंबे समय के कॉन्ट्रैक्ट के तहत लाई जाती है.
कहां होता है सबसे ज्यादा इस्तेमाल
देश में 90% LPG का घरेलू उपयोग किया जाता है. जबकि उद्योग और वाणिज्यिक उपयोगकर्ता बाकी हिस्से की खपत करते हैं. देश में उपयोग किए गए कुल एलपीजी का 13 फीसद हिस्सा उत्तर प्रदेश में इस्तेमाल होता है. जबकि 12 फीसद हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र दूसरे नंबर पर है.