भारत और चीन के बीच होने वाले वस्तु व्यापार को लेकर भारत की तरफ से जारी होने वाले आंकड़ों और चीन की तरफ से जारी होने वाले आंकड़ों में भारी अंतर है. चीन के कस्टम डिपार्टमेंट की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल अप्रैल से अक्टूबर के दौरान उसके यहां से भारत को 97.97 अरब डॉलर का वस्तु निर्यात हुआ है, जबकि भारत के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़े देखें भारत में चीन से 82.5 अरब डॉलर का वस्तु आयात हुआ है.
दोनों देशों के आधिकारिक आंकड़ों में 15.47 अरब डॉलर का अंतर है. ऐसे में बड़ा सवाल उठ रहा है कि यह अंतर क्यों आ रहा है, जब चीन कह रहा है कि उसके यहां से ज्यादा एक्सपोर्ट हुआ है तो वह भारत के इंपोर्ट आंकड़ों में वह नजर क्यों नहीं आ रहा. ऐसा पहली बार नहीं है, पिछले साल भी जनवरी से अक्टूबर के दौरान हुए वस्तु व्यापार आंकड़ों में 12.75 अरब डॉलर का अंतर था.
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में चीन से सामान आयात करने वाले कई व्यापारी चीन से इंपोर्ट होने वाले सामान की कम कीमत बताते हैं, जबकि उन्होंने चीन में ज्यादा कीमत चुकाई होती है. चीन में ज्यादा कीमत चुकाने की वजह से चीन के आंकड़ों में भारत को निर्यात हुए माल का ज्यादा भाव दर्ज होता है जिस वजह से कुल वस्तु निर्यात का आंकड़ा बढ़ता है, और भारत में क्योंकि कम कीमत बताई जाती है ऐसे में भारत सरकार के आंकड़ों में चीन से इंपोर्टेड माल का आंकड़ा कम हो जाता है. विदेश व्यापार की भाषा में इसे अंडर इनवाइसिंग कहते हैं और आयातक इसका इस्तेमाल टैक्स बचाने के लिए करते हैं, क्योंकि जब कीमत कम होगी तो टैक्स भी कम देना पड़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक 2022 के दौरान डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यु इंटेलिजेंस यानी DRI ने चीन से इंपोर्ट होने वाले सामान में अंडरइनवाइसिंग के 896 मामले दर्ज किए गए थे और इन मामलों में आयातकों से रिकवरी की प्रक्रिया शुरू की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक आयातक इस तरह की अंडर इनवाइसिंग चीन के साथ होने वाले व्यापार में ज्यादा है, UAE के साथ होने वाले व्यापार में भी अंडर इनवाइसिंग होती है लेकिन चीन के मुकाबले मामले बहुत कम है. हालांकि अमेरिका के साथ होने वाले व्यापार में इस तरह की अंडरइनवाइसिंग के मामले न के बराबर हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक इस अंडरइनवाइसिंग की वजह से सरकार को राजस्व में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है, करीब 13 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है. इसकी तुलना अगर वित्तवर्ष 2022-23 के दौरान हुई टैक्स कमाई से करे तो कुल टैक्स कलेक्शन का करीब 5-6 फीसद हिस्सा है.
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