देश में दोपहिया वाहन का बाजार काफी बड़ा है. इस बीच सेकेंडहैंड टूव्हीलर का चलन तेजी से बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि इसका मार्केट नए वाहनों के मुकाबले 1.5 गुना ज्यादा है. ये दिग्गज दोपहिया वाहन निर्माताओं को भी आकर्षित कर रहा है. हाल ही में इस सेग्मेंट में बाइक निर्माता कंपनी रॉयल एनफील्ड भी शामिल हुई है. विश्लेषकों के अनुसार टूव्हीलर निर्माताओं को इस क्षेत्र में विकास के काफी मौके नजर आ रहे हैं, अगर इसकी क्षमता का 5 फीसद भी उपयोग किया जाए, तो ये बड़ी मात्रा में अवसर प्रदान करेगा.
डेटा के अनुसार प्रति वर्ष अनुमानित 30 मिलियन इकाइयों के साथ भारत का सेकेंडहैंड दोपहिया बाजार लैटिन अमेरिका, आसियान और अफ्रीका के संयुक्त नए दोपहिया बाजार से भी बड़ा है. यूज्ड टूव्हीलर मार्केट में विकास की संभावना को देखते हुए चेन्नई स्थित मिडिल-वेट बाइक निर्माता रॉयल एनफील्ड ने नए ब्रांड नाम रीओन के साथ इस क्षेत्र में फिर से प्रवेश किया है. इसने पहले 2018 में ब्रांड विंटेज के साथ कदम रखा था जो रॉयल एनफील्ड की पूर्व-स्वामित्व वाली, रिन्युअल और रिस्टोर मोटरसाइकिलें बेचता था. भारत के दो सबसे बड़े दोपहिया वाहन निर्माता हीरो मोटोकॉर्प और होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया ने कई साल पहले इस क्षेत्र में प्रवेश किया था. जबकि हीरो ने 2018 में हीरो श्योर ब्रांड के साथ खुद को फिर से लॉन्च किया, होंडा 8 साल से अधिक समय से बेस्ट डील ब्रांड के तहत अपना कारोबार चला रहा है. वहीं सुजुकी मोटरसाइकिल इंडिया, हार्ले-डेविडसन, डुकाटी, कावासाकी और ट्रायम्फ ने भी पूर्व स्वामित्व वाले सेगमेंट में कदम रखा.
भारत के नए दोपहिया बाजार में एंट्री लेवल (100cc) और कम्यूटर (125cc) श्रेणी का दबदबा है. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी बाइकों का बाजार मुख्य रूप से भीतरी इलाकों और अर्ध-ग्रामीण इलाकों में है, जहां बिक्री-खरीद लेनदेन नकद और अनौपचारिक तरीके से किया जाता है. इसके अलावा, ऐसी बाइक्स का मार्जिन काफी कम होता है. हालांकि शहरी इलाकों में हैवी बाइकों की डिमांड है. चूंकि ऐसी बाइकों पर उनके खरीद मूल्य के कारण मार्जिन अधिक होता है, इसलिए दोपहिया वाहन बनाने वाली कंपनियां इन बाजारों में अपनी उपस्थिति सीमित करने की इच्छुक रही हैं. क्रिसिल-ओएलएक्स की रिसर्च के अनुसार, वित्त वर्ष 2028 तक पूर्व-स्वामित्व वाले दोपहिया वाहनों का बाजार लगभग 38 मिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2023 से वित्त वर्ष 2028 के दौरान 5-7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है.
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