भारत में बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ ही शहरों में बेरोजगारी कम हो रही है. वित्त वर्ष 2024 में शहरी बेरोजगारी दर घट कर 6.6% पर आ गई. पिछले वित्त वर्ष में यह 7.2% थी. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के दूसरे एडवांस अनुमान के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था पिछले वित्त वर्ष में 7.6% की दर से बढ़ने का अनुमान किया गया है. वित्त वर्ष 2023 में यह 7% थी.
लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट
पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) के आंकड़ों के मुताबिक शहरी बेरोजगारी दर Q4FY23 में 6.8% से गिरकर Q4FY24 में 6.7% हो गई. हालांकि यह दिसंबर 2023 तिमाही में 6.5% से क्रमिक रूप से बढ़ी थी. लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट(LFPR) एक साल पहले की तिमाही के 38.1% से बढ़कर चौथी तिमाही में 39.5% हो गई. जबकि वर्कर पॉपुलेशन रेश्यो 35.6% से बढ़कर 36.9% हो गया।
क्यों बढ़ा रोजगार
अर्थशास्त्रियों ने बेरोजगारी में क्रमिक वृद्धि के लिए गैर-फसल मौसम के दौरान रोजगार खोजने के लिए गांव में काम करने वाले लोगों का शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन को जिम्मेदार ठहराया है. भारत में दिसंबर-जून ‘फसल के बीच’ का मौसम होता है. इसलिए श्रमिक नौकरी की तलाश में शहरों की ओर जाते हैं.
क्यों घटी महिला बेरोजगारी
आमतौर पर, शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी किसी भी वित्त वर्ष में तीसरी तिमाही से चौथी तिमाही में बढ़ जाती है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कार्यालय ने बताया कि महिला बेरोजगारी दर Q4FY23 में 9.2% से घटकर Q4FY24 में 8.4% हो गई. Q3FY24 में महिला बेरोजगारी 8.6% थी. उनके मुताबिक “जल जीवन मिशन के तहत पाइप से पीने का पानी, उज्ज्वला के तहत स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता आदि जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच में वृद्धि से महिलाओं को घरेलू कामों से थोड़ा वक्त मिला है. इससे वे काम करने में सक्षम हो रही हैं और रोजगार के अवसर ढूंढ रही हैं.
WPR बढ़ने की वजह
डब्ल्यूपीआर जनसंख्या में श्रमिकों का प्रतिशत दिखाता है. यह Q3FY24 में 36.7% से बढ़कर Q4FY24 में 36.9% हो गया है. इसकी वजह ग्रामीण श्रमिकों के शहरी क्षेत्रों में प्रवास बताया जा रहा है. Q4FY24 में WPR 2018 में सर्वे शुरू होने के बाद से सबसे अधिक है.