खरीदारों की सुविधा के लिए यूपी-रेरा ने पंजीकरण सिस्टम में कुछ बदलाव किया है. इसके तहत प्रमोटर को जारी होने वाले पंजीकरण प्रमाण पत्र में क्यूआर कोड को शामिल किया जाएगा. जिसे स्कैन करते ही खरीदारों को प्रोजेक्ट से जुड़ी सारी डिटेल मिल जाएगी. ये प्रमाण-पत्र सचिव रेरा के डिजिटल सिग्नेचर से जारी होंगे.
इस प्रमाण-पत्र में प्रोजेक्ट से सम्बन्धित जरूरत विवरण जैसे- परियोजना का नाम, प्रोमोटर का नाम, पंजीकरण का महीना एवं साल, परियोजना के प्रारम्भ एवं पूर्ण होने की तिथि समेत निर्माण अवधि के साथ बिल्डर का पता मौजूद होंगे. इसके अलावा प्रमाण-पत्र में रजिस्ट्रेशन की मुख्य शर्तें जैसे प्रोमोटर की ओर से आवंटियों से प्राप्त धनराशि का कम से कम 70 प्रतिशत और परियोजना के विकास के लिए बैंक से लिए गए कर्ज की पूरी धनराशि प्रोजेक्ट के अलग खाते में जमा की जाएगी. जिसका इस्तेमाल महज परियोजना के निर्माण और भूमि की लागत पर ही किया जा सकेगा.
दफ्तर और प्रोजेक्ट की जगह पर लगाने होंगे प्रिंटआउट
यूपी-रेरा ने प्रमोटरों को क्यूआर कोड वाले पंजीकरण प्रमाणपत्र का प्रिंटआउट अपने कार्यालय और प्रोजेक्ट की जगह लगाने के भी निर्देश दिए हैं. जिससे यह परियोजना के संभावित और मौजूदा घर खरीदारों को दूर से दिखाई दे सके. घर खरीदार अपने मोबाइल फोन के जरिए प्रमाण पत्र के क्यूआर कोड को स्कैन कर सकते हैं और प्राधिकरण के वेब पोर्टल पर परियोजना का विवरण देख सकते हैं. इनमें जमीन से संबंधित विवरण, अप्रूवल, त्रैमासिक प्रगति रिपोर्ट आदि शामिल होंगे. यूपी-रेरा के अध्यक्ष संजय आर भूसरेड्डी का कहना है कि उनका मकसद पंजीकरण प्रमाण पत्र पर नई सुविधा को बेहतर बनाना और घर खरीदारों के लिए एक साधन बनाना है. इसके लिए प्रमोटरों को अपनी वेबसाइटों पर क्यूआर कोड को अपनाने की सलाह दी गई है.
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