यूको बैंक लिमिटेड ने उस विवादास्पद सर्कुलर को वापस ले लिया जिसमें ब्रांच अधिकारियों को टॉप 10 डिफॉल्टर्स के घर दिवाली पर मिठाई भेजने का निर्देश दिया गया था. इसमें वो उधारकर्ता शामिल थे जिनके खाते को एनपीए श्रेणी में रखा गया है. शाखा स्तर के कर्मचारियों के इस निर्देश के विरोध के बाद बैंक मैनेजमेंट ने फैसला वापस ले लिया है. इस संबंध में जोनल प्रमुखों को एक नया नोटिस जारी किया गया है, जिसमें कहा गया कि पहले दिए गए निर्देश वापस लिए जा रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक शाखा स्तर के कर्मचारियों ने इस तरह के फैसले का कड़ा विरोध किया था. उनका कहना है जब भी कोई खाता एनपीए हो जाता है, तो शाखा कर्मचारी और उसके प्रमुख को वसूली के लिए परेशान होना पड़ता है. ऐसे लोगों से इतने सौहार्दपूर्ण ढंग से पेश आने के लिए कहना वास्तव में सही नहीं है. 30 जून को समाप्त तिमाही में यूको बैंक का सकल एनपीए रेशियो 30 बेसिस प्वाइंट कम होकर 4.48% रहा. तिमाही के दौरान, बैंक ने 536 करोड़ रुपए के नुकसान की सूचना दी, जिसमें 89 करोड़ रुपए के खुदरा खराब ऋण, 91 करोड़ रुपए के कृषि ऋण और 260 करोड़ रुपए के एमएसएमई ऋण शामिल थे.
बता दें यूको बैंक के टॉप मैनजमेंट ने प्रत्येक ब्रांच के टॉप 10 डिफॉल्टर्स को दिवाली पर मिठाई भेजने का एक सर्कुलर जारी किया था. जिसमें कहा गया था कि ब्रांच हेड खुद शीर्ष 10 उधारकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे, बात करेंगे और मिठाई देंगे. मैनेजमेंट का तर्क था कि बहुत से ग्राहक ऐसे भी है जिनके कर्ज न चुका पाने की वजह दूसरी है, इनमें बिजनेस में नुकसान, बिजनेस प्रमुख का निधन, रीपेमेंट की क्षमता न होना आदि शामिल हैं. ऐसे ग्राहक चाहकर भी समय पर कर्ज नहीं चुका पाते और एनपीए की श्रेणी में चले जाते हैं. वहीं कई बार बैंक ग्राहकों और अधिकारियों के बीच अनबन के चलते भी बहुत से लोग कर्ज जानबूझकर नहीं चुकाते हैं, लेकिन एक समय वे बैंक के लिए मूल्यवान ग्राहक थे. इसी मसले को सुलझाने के लिए यूको बैंक ने ये पहल की थी, लेकिन ब्रांच अधिकारियों के ऐतराज के बाद बैंक प्रबंधन को अपने हाथ पीछे खींचने पड़े.