जनवरी में रिटेल महंगाई बढ़कर कितनी हुई? गेहूं की कीमतों में आई कितनी गिरावट? शहरों में रहना हुआ और कितना महंगा? देश के गोल्ड ETFs में कितना घटा निवेश? ऐसी ही पर्सनल फाइनेंस से जुड़ी अन्य बड़ी खबरों की जानकारी हम आपको यहां देंगे. खबर की शुरुआत करते है रिटेल महंगाई के साथ…
1. लगातार 3 महीने गिरावट के बाद रिटेल महंगाई एक बार फिर से चुनौती बन गई है. जनवरी के दौरान रिटेल महंगाई दर में बढ़ोतरी देखने को मिली है. और दर बढ़कर 6.52 फीसद हो गई है. इससे पहले दिसंबर के दौरान रिटेल महंगाई दर 5.72 फीसद थी. मसाले, अनाज, दूध, अंडे, जूते और इंधन की महंगाई में जोरदार बढ़ोतरी देखने को मिली, जिस वजह से कुल रिटेल महंगाई फिर से RBI के सहनीय स्तर 6 फीसद के ऊपर पहुंच गई है. महंगाई दर में हुई इस बढ़ोतरी के बाद अब सरकार और रिजर्व बैंक के सामने चुनौती बढ़ गई है. और महंगा बढ़ने से निकट भविष्य में कर्ज सस्ता होने की उम्मीद भी घट गई है. ऐसी आशंका है कि लंबे समय तक RBI की तरफ से पॉलिसी दरों में कटौती नहीं होगी.
2. आटे के साथ सूजी और मैदा के दाम घटने की उम्मीद बढ़ गई है. क्योंकि बाजार में गेहूं की कीमतों में भारी गिरावट आई है. सोमवार को दिल्ली में गेहूं का भाव 2625 रुपए प्रति क्विंटल दर्ज किया गया है. जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 175 रुपए कम है. हालांकि भाव अभी भी सरकार के तय समर्थन मूल्य से काफी ऊपर है. लेकिन जनवरी में भाव ने जिस 3250 रुपए की रिकॉर्ड ऊंचाई को छुआ था. वहां से कीमतें 625 रुपए कम हो गई हैं. अगले महीने से मंडियों में नई फसल के गेहूं की आवक बढ़ जाएगी. जिस वजह से बाजार में गेहूं का भाव और कम होने की उम्मीद है. और गेहूं सस्ता होने की स्थिति में आटा, मैदा, सूजी, बिस्कुट और ब्रेड के दाम घटने की संभावना बढ़ जाती है.
3. शहरों में किराए का घर महंगा पड़ने लगा है. 2019 से 2022 के दौरान देश के 7 बड़े शहरों में 2बीएचके घरों का किराया 23 फीसद तक बढ़ गया है. कोरोना के बाद से किराए में ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली है. क्योंकि घरों से काम करने वाले लोग फिर से शहरों में लौट आए हैं और खाली मकानों की मांग बढ़ गई है. और इस बढ़ी हुई मांग की वजह से घरों के किराए में बढ़ोतरी देखने को मिली है. 2019 के दौरान दिल्ली से सटे नोएडा में 2बीएचके घर का किराया औसतन 15500 रुपए हुआ करता था, जो अब बढ़कर 19000 रुपए हो गया है. देश के अन्य बड़े शहरों में भी घरों के किराए में इसी तरह की बढ़ोतरी देखने को मिली है.
4. बैंक में FD पर ज्यादा रिटर्न मिलने की वजह से निवेश के लिए निवेशकों का रुझान फिक्स डिपॉजिट की तरफ बढ़ा है. निवेशक बैंकों के बचत खातों में रखी अपनी जमा पूंजी को बचत खाते से निकालकर फिक्स डिपॉजिट में लगा रहे हैं. क्योंकि बैंकों तरफ से FD पर 8-9 फीसद का ब्याज मिल रहा है. और यह रिटर्न महंगाई के मुकाबले कहीं ज्यादा है. रिपोर्ट्स में कहा गया है. कि सितंबर तिमाही से ही निवेशकों का रुझान फिक्स डिपॉजिट की तरफ बढ़ा है. बैंक के फिक्स डिपॉजिट में किए गए निवेश पर रिस्क नहीं होता जबकि निवेश के कई ऐसे विकल्प हैं जहां पर रिटर्न तो बैंक एफडी से ज्यादा है लेकिन वहां किए गए निवेश पर रिस्क भी ज्यादा होता है.
5. भाव ऊंचा होने की वजह से गोल्ड के निवेशक निकाल रहे हैं सोने से निवेश जनवरी के दौरान देश के गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडिड फंड्स यानी गोल्ड ETFs से हुई 199 करोड़ रुपए की निकासी लगातार तीसरे महीने निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से निवेश घटाया है. हालांकि वैश्विक गोल्ड ETFs अब सोने में अपना निवेश बढ़ाने लगे हैं. दुनियाभर के केंद्रीय बैंक भी बड़ी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं जिस वजह से लंबी अवधि में सोने की निवेश मांग बढ़ने की संभावना है. और मांग बढ़ने पर सोने के भाव में भी तेजी आ सकती है. सोमवार को घरेलू वायदा बाजार यानी MCX पर सोने का भाव 57 हजार रुपए के नीचे देखा गया है.
6. देश में पैसेंजर और टू-व्हीलर गाड़ियों की बिक्री में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है, जो अर्थव्यवस्था के लिए एक बेहतर संकेत माना जा रहा है. जनवरी के दौरान देश में पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री 17 फीसद बढ़ी है. वाहन उत्पादक कंपनियों के संगठन सियाम के मुताबिक जनवरी में 2.98 लाख से ज्यादा पैसेंजर गाड़ियों की बिक्री हुई है. टू-व्हीलर गाड़ियों की बात करें तो उनकी बिक्री में जनवरी के दौरान उनकी बिक्री में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है. जनवरी में 11.84 लाख से ज्यादा टू-व्हीलर की सेल हुई है. इसके अलावा थ्री व्लीहर की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
7. अडाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में सोमवार को भी गिरावट का सिलसिला जारी रहा. समूह की प्रमुख कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज का शेयर 7 प्रतिशत से अधिक टूट गया. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने समूह की चार कंपनियों के परिदृश्य को ‘स्थिर’ से ‘नकारात्मक’ कर दिया है. इसका असर सुबह के कारोबार में समूह की कंपनियों पर दिखा. ग्रुप की कई कंपनियों में निचला सर्किट लगा है.
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