सरकार कपड़ा निर्यात को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दे रही है. बीते वित्त वर्ष (2023-24) में लगातार दूसरे साल कपड़ा निर्यात में गिरावट आई है. इसके बाद सरकार ने निर्यात बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने का फैसला किया है. कपड़ा सचिव रचना शाह ने यह बात कही है. सरकार ने 2030 तक कपड़ा उत्पादों के निर्यात को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. अप्रैल, 2023 से मार्च, 2024 के बीच भारत का कुल कपड़ा और परिधान निर्यात 3.24 प्रतिशत की गिरावट के साथ 34.4 अरब डॉलर रहा है. इससे पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 35.5 अरब डॉलर का था. वित्त वर्ष 2021-22 में कपड़ा और परिधान निर्यात 41 अरब डॉलर से अधिक रहा था.
लाल सागर संकट निर्यात में गिरावट की बड़ी वजह
कपड़ा सचिव शाह ने कहा कि 2023-24 में भारत के कपड़ा निर्यात में गिरावट की एक बड़ी वजह लाल सागर संकट था. हालांकि, भू-राजनीतिक चुनौतियां अब भी बनी हुई हैं. कपड़ा सचिव ने कहा कि कुछ निर्यातकों ने पहली तिमाही में अपनी ऑर्डर बुक में सुधार की सूचना दी है और आने वाले महीनों में निर्यात में सुधार होने की संभावना है. शाह ने बताया कि हम उन उत्पादों पर अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे जिनमें निर्यात की अधिक संभावना है और हमारी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना वैश्विक स्तर पर कारोबार वाले उत्पादों पर केंद्रित है.
शाह ने यह भी कहा कि हम निर्यात बढ़ाने के लिए नए बाजारों में संभावनाएं तलाशेंगे. उन्होंने कहा कि भारत ने कुछ देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) किए हैं जिससे हमारे लिए कपड़ा निर्यात के अधिक अवसर उपलब्ध होंगे. उन्होंने कहा कि अब निर्यात सुधर रहा है. पहली तिमाही में कुछ निर्यातकों ने ऑर्डर में सुधार की सूचना दी है. भारत कपड़ा निर्यात के मोर्चे पर बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से पिछड़ रहा है. इन देशों में श्रम की लागत कम है. इसके अलावा अपनी अधिक परिचालन पहुंच और मुक्त व्यापार समझौतों की वजह से भी ये देश लाभ की स्थिति में हैं.