15 नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनीज (NBFC) ने अलग-अलग कारणों के चलते अपना रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट सरेंडर कर दिया है यानी उन्होंने अपना लाइसेंस लौटा दिया है. ये जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने शुक्रवार को दी. आरबीआई के तहत 9 गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां मर्जर या डीमर्जर जैसी वजहों के चलते कानूनी संस्थाएं नहीं रह गई थीं. जिसकी वजह से उन्होंने लाइसेंस वापस करने का फैसला लिया.
आरबीआई के मुताबिक कई कंपनियों में से कुछ ने गठन के बाद भी एक साल या इससे ज्यादा वक्त तक बिजनेस शुरू नहीं किया. जिसके चलते ये NBFC निष्क्रिय कंपनियों की श्रेणी में आ गईं. इनमें टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज, टाटा क्लीनटेक कैपिटल, नेपेरोल इन्वेस्टमेंट्स, यूएसजी फाइनेंशियल सर्विसेज, ऊर्जा कैपिटल, वंदना डीलर्स, एबीआरएन फाइनेंस, जोधानी मैनेजमेंट और जेडीएस सिक्योरिटीज शामिल हैं. वहीं छह कंपनियों ने अपनी मर्जी से बिजनेस बंद करने का फैसला किया है. इनमें वियान ग्रोथ कैपिटल, ड्रेप लीजिंग एंड फाइनेंस, ज्वेल स्ट्रिप्स, रिवॉल्विंग इन्वेस्टमेंट्स, अंशू लीजिंग और ए वी बी फाइनेंस शामिल हैं.
आरबीआई ने जारी की थी ड्राफ्ट गाइडलाइंस
पिछले दिनों बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय संस्थानों के लिए ड्राफ्ट गाइडलाइंस जारी की थी जिसमें प्रस्ताव है कि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को लोन देने वाले वित्तीय संस्थानों को लोन का 5 प्रतिशत प्रोविजिनिंग के तौर पर रखना होगा. हालांकि, प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद इसे कम करके 1 प्रतिशत तक लाया जा सकेगा. इससे बैंकिंग और नॉन-बैंकिंग, सभी कर्ज देने वाले वित्तीय संस्थानों के शेयरों में भारी गिरावट आई थी.