सरकार जून में नीलामी के लिए रखे जाने वाले 96,000 करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम के मुकाबले अधिकतम 52,000 करोड़ रुपए जुटा पाएगी. तीन दूरसंचार ऑपरेटरों की तरफ से जमा की गई बयाना राशि (EMD) से यह जानकारी मिली है. रिलायंस जियो की जमा राशि सबसे ज्यादा 3,000 करोड़ रुपए है. यह भारती एयरटेल के 1,050 करोड़ रुपए से तीन गुना और वोडाफोन आइडिया के 300 करोड़ रुपए से 10 गुना अधिक है. यह कुल मिलाकर 4,350 करोड़ रुपए है.
कितना खर्च कर सकती है कंपनियां
Reliance Jio के पास बिक्री पर स्पेक्ट्रम के कुल मूल्य का 36,000 करोड़ रुपए या 37.4% तक खर्च करने का विकल्प है. Airtel 12,500 करोड़ रुपए या स्पेक्ट्रम के कुल मूल्य का 13% तक खर्च कर सकती है. जबकि वोडाफोन आइडिया 3,600 करोड़ रुपए तक खर्च कर सकती है.
एलिजिबिलिटी पॉइंट्स
EMD के आधार पर जियो को 21,363 एलिजिबिलिटी पॉइंट्स, एयरटेल को 7,613 एलिजिबिलिटी पॉइंट्स और वोडाफोन आइडिया को 2,200 पॉइंट्स मिले हैं. हालांकि, EMD का मतलब यह नहीं है कि बोली लगाने वाले को नीलामी में अपने सभी पॉइंट्स को अनिवार्य रूप से खत्म करना होगा.
स्पेक्ट्रम की कीमत
नीलामी के लिए 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में कुल 10,523.15 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम रखा गया है. इसकी कुल कीमत 96,317.65 करोड़ रुपए है.
कितनी EMD मिली?
जुलाई 2022 में आयोजित 5G नीलामी में, दूरसंचार विभाग (DoT) को 21,800 करोड़ रुपए की EMD प्राप्त हुई और इसका कुल कलेक्शन 1.5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा था.
एयरवेव्स तक सीमित खरीदारी
आगामी नीलामियों में, सुस्त प्रतिक्रिया की उम्मीद है क्योंकि कुछ सर्किल में रिन्यूअल की वजह से खरीदारी काफी हद तक एयरवेव्स तक ही सीमित रह सकती है. अधिकारियों के मुताबिक, सरकार 10,000 करोड़ रुपए से ज्यादा की उम्मीद नहीं कर रही है.
स्पेक्ट्रम नीलामी
पिछली स्पेक्ट्रम नीलामी में, रिलायंस जियो ने 4जी/5जी स्पेक्ट्रम के लिए 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए. इसके बाद भारती एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपए खर्च किए हैं.