टेलीकॉम कंपनियों के लिए जल्द ही स्पेक्ट्रम की नीलामी की जाएगी. दूरसंचार विभाग (DOT) के सचिव नीरज मित्तल का कहना है कि इसका आयोजन अगले दो-तीन महीनों में किया जाएगा. यह बिक्री मुख्य रूप से दूरसंचार ऑपरेटरों के लिए उनके चालू सेवा के खत्म हो रहे स्पेक्ट्रम को टॉप-अप करने के लिए होगी. हालांकि मित्तल ने इस नीलामी की गति धीमे रहने का अनुमान जताया.
डीओटी सचिव का कहना है कि पिछली नीलामी में टेलीकॉम कंपनियों का जबरदस्त रिस्पॉन्स देखने को मिला था. उन्होंने काफी कुछ खरीदा था. इससे 2022 में सरकार ने 1.5 लाख करोड़ रुपए हासिल किए थे. हालांकि आगामी नीलामी के लिए सरकार का लक्ष्य 2022 में 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में हासिल की गई रकम से कम है. हालांकि अधिकारी को भरोसा है कि जिन ऑपरेटरों के स्पेक्ट्रम की समय सीमा समाप्त हो गई है, वे निश्चित रूप से टॉप अप करना चाहेंगे. सरकार आगामी नीलामी में 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज, 2500 मेगाहर्ट्ज, 3300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज में स्पेक्ट्रम बिक्री पेश करेगी. हालांकि टेलीकॉम कंपनियाें की ओर से इस साल स्पेक्ट्रम पर बड़ा खर्च करने की उम्मीद नहीं है.
एयरटेल और वोडा को लाइसेंस कराना होगा रिन्यू
भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया की ओर से कुछ चुनिंदा खरीदारी की जाएगी. उन्हें कुछ सर्किलों में अपने लाइसेंस को रिन्यू कराना होगा. एयरटेल जहां जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, बिहार, यूपी (पूर्व), पश्चिम बंगाल और असम के लिए अपना लाइसेंस रिन्यू कराएगी, वहीं वोडाफोन आइडिया को पश्चिम बंगाल और यूपी पश्चिम में अपना लाइसेंस नवीनीकृत करने की जरूरत होगी. इसके अलावा अडानी समूह निचले स्पेक्ट्रम बैंड में कुछ एयरवेव्स खरीद सकता है. जेफ़रीज़ के अनुसार, एयरटेल और वोडाफोन आइडिया को क्रमशः लगभग 4,200 करोड़ रुपए और 1,950 करोड़ रुपए के एयरवेव्स को नवीनीकृत करने की जरूरत है. मार्केट लीडर रिलायंस जियो के पास इस वर्ष के लिए कोई स्पेक्ट्रम रिन्युअल नहीं है.
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