प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने कहा है कि भविष्य में 4 बड़े सरकारी बैंकों का अस्तित्व बना रहेगा. इसके साथ ही भारतीय बैंकिंग प्रणाली में ये बैंक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाएंगे. सान्याल ने कहा कि रणनीतिक स्तर पर उनका मानना है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली के कुछ हिस्से सरकारी स्वामित्व वाले बने रहेंगे. बता दें कि मौजूदा समय में देश में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं जिनमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूसीओ बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.
सान्याल ने कहा कि समय के साथ बैंकिंग प्रणाली में निजी क्षेत्र की हिस्से बढ़नी चाहिए, ताकि बैंकिंग प्रणाली का बड़ा हिस्सा निजी हाथों में हो. गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 का बजट पेश करते हुए 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने के लिए विनिवेश अभियान के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का ऐलान किया था. 2019 में सरकार ने 6 छोटे और कमजोर सरकारी बैंक को 4 बैंकों में विलय करने का फैसला किया था. इसके तहत पंजाब नेशनल बैंक में ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का विलय हो गया था. इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक, आंध्रा बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय हो गया था. विजया बैंक और देना बैंक का बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय हो गया था.
2024 के चुनावों तक कोई निजीकरण नहीं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी का कहना है कि सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए इंतजार करना होगा. 2024 के आम चुनाव से पहले निजीकरण नहीं होगा. सरकार के पास इसके लिए अभी तक कोई कानून नहीं है और इसके बगैर निजीकरण संभव नहीं है.