भारत अपने मुफ्त राशन स्कीम यानी पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को लेकर विश्व व्यापार संगठन ( WTO) के कुछ सदस्यों के निशाने पर है. भारत को PMGKAY की समयसीमा को 5 साल बढ़ाने और गैर बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के कारणों को लेकर ज्यादा जानकारी WTO सदस्यों को देनी पड़ सकती है. बता दें कि कृषि पर WTO की कमेटी (COA) की तीन दिवसीय बैठक सोमवार से शुरू हो रही है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका, यूरोपीय संघ, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और न्यूजीलैंड समेत WTO के अन्य सदस्य बैठक में भारत के सामने सवालों की झड़ी लगाने को तैयार हैं. भारत से पूछे जाने वाले ज्यादातर सवाल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और उसके द्वारा लगाए गए निर्यात पर प्रतिबंधों को लेकर है. गौरतलब है कि वैश्विक कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भारत ने 2024 तक चावल के निर्यात को लेकर कुछ पाबंदियां लगाई हुई हैं. कनाडा ने भारत से पूछा है कि क्या PMGKAY के तहत की जाने वाली खरीद मौजूदा बाजार मूल्य के बजाय प्रशासित मूल्य (एडमिनिस्टर्ड प्राइस) के तहत की जाएगी और क्या उसने इससे होने वाले प्रभाव पर विचार किया है.
कनाडा का कहना है कि अगर भारत प्रशासित कीमतों पर खाद्दान्न की खरीद करता है, तो उसे उसका कारण बताना चाहिए कि यह तरीका क्यों बेहतर है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में एक चुनावी रैली में इस महीने की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने PMGKAY की समयसीमा को बढ़ाने का ऐलान किया था. गौरतलब है कि इस योजना के जरिए 81 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज की सुविधा मिलती है. हालांकि कृषि पर WTO में हुए समझौते के मुताबिक विकासशील देशों के द्वारा फसल उत्पादन की लागत पर 10 फीसद की सीमा से ज्यादा कृषि सब्सिडी नहीं दी जा सकती है.
हालांकि दिसंबर 2013 में बाली में हुई मंत्रिस्तरीय बैठक में एक पीस क्लॉज बनाया गया, जिसमें विकासशील देशों को इस सीमा से ज्यादा कृषि सब्सिडी देने की अनुमति मिल गई है. समस्या यह है कि पीस क्लॉज अधिसूचनाओं और आंकड़ों को जमा करने के साथ-साथ अन्य देशों की खाद्य सुरक्षा से संबंधित कठिन शर्तों से भरा हुआ है और विकासशील देशों के लिए उन शर्तों को पूरी तरह से लागू करना मुश्किल हो सकता है.
अमेरिका ने भारत से गैर-बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध हटाने को कहा है. बता दें कि भारत ने चावल पर 10 फीसद सब्सिडी लिमिट का उल्लंघन करने के लिए पहले ही डब्ल्यूटीओ में ‘पीस क्लॉज’ लागू कर दिया है. भारत लगातार यूरोपीय संघ और अमेरिका समेत कई अन्य सदस्यों की मांगों का सामना कर रहा है. ये सदस्य इसकी जानकारी मांग रहे थे कि भारत सब्सिडी वाले चावल को कहीं वैश्विक बाजार में डंप तो नहीं कर रहा है.
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