बीते 9 साल में 24.9 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं.नीति आयोग की राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. इसके मुताबिक हर साल देश में लगभग 2.75 करोड़ गरीब घट गए हैं. गरीबी रेखा से बाहर आने वाले सबसे ज्यादा लोग उत्तर प्रदेश राज्य के हैं. उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं. इसके बाद 3.77 करोड़ के साथ बिहार और 2.30 करोड़ के साथ मध्यप्रदेश दूसरे और तीसरे स्थान पर रहा.नीति आयोग की
रिपोर्ट में मल्टीडायमेंशनल पॉवर यानी बहुआयामी गरीबी को मापने के लिए को हेल्थ, एजुकेशन और स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग, न्यूट्रीशन, बाल मृत्यु दर, मटैरनल हेल्थ, स्कूल में कितने साल पढ़ाई की, स्कूल अटेंडेंस, साफ-सफाई, पीने की पानी की सुविधा, बिजली की सुविधा, घर, संपत्ति और बैंक अकाउंट जैसे 12 इंडिकेटर्स के आधार पर मापा गया है.
9 साल में घटी गरीबी
इस रिपोर्ट के मुताबिक 2013-14 से 2022-23 के बीच 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले हैं. 2013-14 में देश में मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी की दर 29.17 फीसद थी. 2022-23 में यह घटकर 11.28 फीसद पर आ गई है. इस हिसाब से 9 साल में गरीबी में 17.89 फीसद की कमी आई है.
गरीबी कम होने का कारण
नीति आयोग सदस्य रमेश चन्द ने कृषि क्षेत्र में विकास को गरीबी घटने की मुख्य वजह माना है. नीति आयोग कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, सरकार पोषण अभियान, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जैसी केंद्रीय योजनाओं को भी गरीबी घटाने में अहम माना गया है. प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत, 50 करोड़ से ज्यादा बैंक खाते खोले जा चुके हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना के जरिए 4 करोड़ से ज्यादा लोगों को घर दिए गए हैं, जिनसे उनके रहन-सहन में सुधार हुआ है.