भारत के दो प्रमुख शहरों में किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण से टाइप-2 मधुमेह होने का खतरा बढ़ जाता है. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) में प्रकाशित 15 साल के अध्ययन में दिल्ली और चेन्नई के 12,000 से अधिक निवासियों को शामिल किया गया था. शोधकर्ताओं ने PM2.5 कणों और टाइप-2 मधुमेह के बढ़ते खतरे के बीच एक संबंध पाया है. रिसर्च के मुताबिक लंबे समय तक प्रदूषण वाले इलाकों में रहने वाले लोगों में शुगर लेवल बढ़ने का खतरा 20 से 22 फीसद ज्यादा था.
जांचकर्ताओं में से डॉ. मोहन डायबिटीज स्पेशलिटीज सेंटर और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष वी मोहन ने कहा कि अब तक हम सोचते रहे हैं कि शहरी इलाकों में मधुमेह का अधिक प्रसार मोटापा बढ़ने, कम शारीरिक गतिविधि और अधिक कार्बोहाइड्रेट, वसा और कैलोरी वाले अस्वास्थ्यकर आहार के कारण है. लेकिन अब, इस नए अध्ययन से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में देखे जाने वाले टाइप-2 मधुमेह के उच्च प्रसार के लिए एक और स्पष्टीकरण हो सकता है.
उन्होंने कहा, “पहली बार, भारत में एक बड़े अध्ययन से पता चला है कि वायु प्रदूषण से उन लोगों में टाइप 2 मधुमेह भी हो सकता है, जो इसके प्रति संवेदनशील हैं. PM2.5 पार्टिकुलेट मैटर श्वसन संबंधी बीमारियाँ पैदा कर सकता है. रिसर्च के मौजूद हवा में मौजूद पीएम 2.5 का बढ़ा लेवल शरीर में शुगर को बढ़ा रहा है. इस रिसर्ज को साल 2010 में शुरू किया गया था जिसमें पॉल्यूशन और डायबिटीज में संबंध पाया गया है. इस रिसर्च में 12,000 पुरुष और महिला को शामिल किया गया था. इन सभी का ब्लड शुगर लेवल चेक किया गया. इससे पता चला कि जिनके शरीर में पॉल्यूशन का लेवल ज्यादा था, उनमें ब्लड शुगर लेवल भी ज्यादा निकला. भारत में पहले से ही डायबिटीज के मरीजों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है.