दवाओं के भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट से माफी मांग ली है. पतंजलि ने अपने पुराने बयानों के लिए बिना शर्त माफी मांगी है. पतंजलि आयुर्वेद के एमडी आचार्य बालकृष्ण ने भी सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि के भ्रामक दवा विज्ञापनों पर खेद जताया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कंपनी के ‘अपमानजनक वाक्यों’ वाले विज्ञापन पर खेद जताया है.
नोटिस के बाद खेद!
सुप्रीम कोर्ट के नोटिस जारी करने के बाद पतंजलि की तरफ से यह कदम उठाया गया है. दरअसल पिछली सुनवाई में पतंजलि ने सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस का जवाब नहीं दिया था. इसके बाद सर्वोच्च अदालत ने चार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. अदालत ने बाबा रामदेव को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है और उन्हें भी 2 अप्रैल को अदालत में पेश होने के लिए कहा है.
गलती से ‘अपमानजनक वाक्य’ शामिल
आचार्य बालकृष्ण ने अपने हलफनामे में कहा है कि नवंबर 2023 के बाद जारी किए गए विज्ञापनों का उद्देश्य केवल ‘सामान्य बयान’ था. उनमें गलती से ‘अपमानजनक वाक्य’ शामिल हुए. उनके मुताबिक इन विज्ञापनों को पतंजलि के मीडिया विभाग ने मंजूरी दी थी. विभाग को नवंबर 2023 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी.
भविष्य में ऐसे विज्ञापन नहीं जारी करेगी कंपनी
भ्रामक विज्ञापनों पर खेद जताने के साथ ही आचार्य ने कहा कि कंपनी भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं करेगी. पंतजलि ने अपनी सफाई में कहा है कि इसका इरादा पूरी तरह से देश के नागरिकों को पतंजलि उत्पादों को अपनी दिनचर्या में शामिल करके एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है.
पहले भी दे चुकी है आश्वासन
दरअसल पंतजलि ने नवंबर 2023 में आश्वासन दिया था कि वह चिकित्सा प्रभावकारिता या चिकित्सा की किसी भी प्रणाली पर कोई निराधार दावा या उनकी निंदा करने से परहेज करेगी. हालांकि, पिछले आश्वासन के बावजूद, पतंजलि ने भ्रामक विज्ञापनों का सिलसिला जारी रखा था.
Published - March 21, 2024, 12:28 IST
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