भारत की सरकारी स्वामित्व वाली तेल और प्राकृतिक गैस निगम ओएनजीसी की विदेशी शाखा ओवीएल जल्द ही श्रीलंका में तेल और गैस की खोज करेगी. इसके लिए तेल ओएनसीजी विदेश लिमिटेड ने रोडमैप और नीति भी तैयार कर ली है, बस कंपनी को इसे पेश करना बाकी है. इस बात की जानकारी कंपनी के प्रबंध निदेशक राजर्षि गुप्ता ने दी. उनके अनुसार वे इस अवसर में भाग लेने के लिए उत्सुक है. इसके जरिए पेट्रोलियम उद्योग का विकास होगा. गुप्ता के अनुसार श्रीलंका में बड़े पैमाने पर तेल के भंडारण की सूचना मिली है. ऐसे में तेल और गैस परिसंपत्तियों में ओएनजीसी समूह के सहयोग से श्रीलंका को लाभ होगा. चूंकि ओएनसीजी जो पेरेंट कंपनी के रूप में होगी, इसके पास दक्षिण भारत में महत्वपूर्ण अपस्ट्रीम संपत्तियां और बुनियादी ढांचा है.
ओएनसीजी विदेश के अनुसार भौगोलिक रूप से श्रीलंका के अपतटीय क्षेत्र दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों के समान हैं. कंपनी को ऐसे क्षेत्रों में काम करने का अनुभव है. भारत के साथ श्रीलंका की भौगोलिक निकटता को भी ओवीएल के लिए एक प्रमुख आकर्षण के रूप में देखा जाता है. कंपनी के प्रबंध का कहना है कि ओवीएल सरकारी बातचीत, प्रतिस्पर्धी बोली या किसी अन्य मार्ग के लिए खुला रहेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए 900 अपतटीय ब्लॉकों को एक्सप्लोर करने के लिए लाइसेंस जारी करने के लिए एक नीति तैयार कर रहा था. चूंकि श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था, इससे ऊर्जा संकट भी पैदा हो गया था. द्वीप अपनी घरेलू ईंधन मांग को पूरा करने के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर है. ऐसे में भारत के अपने दक्षिणी पड़ोसी के साथ रहे बेहतर रिश्ते उसके काम आ सकते हैं. बता दें इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन श्रीलंका में प्रमुख ईंधन खुदरा विक्रेताओं में से एक है. श्रीलंकाई सरकार का अनुमान है कि द्वीप के उत्तरी तट से 30,000 वर्ग किमी क्षेत्र में करीब दस लाख बैरल से अधिक तेल संसाधन मौजूद है.
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